Wednesday 28 December 2016

16 साल पहले बिछड़े बाप-बेटे का मिलन हुआ इस ईद पर


वैसे तो हर ईद किसी ना किसी मामले में लोगों के लिए खास होता है लेकिन इस बार का ईद एक बाप और बेटे के लिए सही मायने में किसी फिल्मी कहानी से कही अधिक स्पेशल होगी . 26 साल के जाहिद पाशा के लिए यह ईद काफी स्पेशल इसलिए थी क्योंकि वह इसी दिन अपने पिता से 16 साल बाद मिलने वाला है. 
जी हां! उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के एक मदरसे से अगवा हुए जाहिद की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. दरअसल 16 साल पहले जाहिद को अपहरणकर्ताओं ने  किडनैप कर कर्नाटक के टुमकुर रेलवे स्टेशन पर ले जाकर छोड़ दिया.
आपको बता दें कि अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक उस समय कर्नाटक में जाहिद के पास हरियाणा के मेवात में रह रहे अपने परिवार से संपर्क करने का कोई साधन नहीं था और ना ही उनके पास कोई कॉन्टैक्ट बचा था.
इसके बाद जाहिद की मदद हरियाणा के ही जींद जिले के बीबीगांव के सरपंच सुनील जागलान ने की. आपको बता दें कि सुनील वही शख्स हैं जिनके ‘सेल्फी विद डॉटर’ कैंपेन को खुद पीएम मोदी ने खूब सराहा था.
सुनील ने जाहिद के परिवार को खोजने में मदद की. बेंगलुरु से 70 किमी दूर टुमकुर में ही रह रहे जाहिद ने हमारे टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि वह अपने परिवार से मिलने को लेकर बहुत ही उत्साहित हैं. वह 17 जुलाई तक अपने परिवार के पास पहुंच जाएंगे.
खास बात यह है कि जाहिद को अगवा करने वाला उनका ही एक साथी था जो मदरसे में उनके साथ था. टुमकुर में जाहिद ने एक मस्जिद मे पनाह ली जहां एक केबल ऑपरेटर फारुक पाशा उन्हें अपने साथ ले गए.
आपको बता दें कि वहां जाहिद, फारूक के सहायक के तौर पर काम करने लगे और टुमकुर की ही अकीला बानो के साथ निकाह कर लिया. आज उनके दो बच्चे हैं. हालांकि, जाहिद आज तक यह अंदाजा नहीं लगा पाए कि आखिर उन्हें अगवा क्यों किया गया था.
जाहिद का अपने परिवार से मिलने का इंतजार तब खत्म हुआ जब बीते रविवार उन्हें इंटरनेट पर जागलान का फोन नंबर मिला. सुनील जागलान ने जाहिद की पूरी कहानी सुनी और जींद और मेवात की पुलिस से संपर्क किया. इतने सालों में जाहिद लगभग सब भूल चुके थे. उन्हें बस इतना याद था कि उनके अब्बा का नाम अकबर और गांव का नाम ‘सुनेदा’ था.
जागलान ने इस गांव के सरपंच और पुराने सरपंचों से इस बारे में बात की तो पता चला कि अकबर हुसैन का बेटा वर्षों पहले लापता हो गया था. जाहिद 16 साल बाद अपने परिवार के पास पहुंचने जा रहे हैं. शायद यह ईद उनकी जिंदगी की सबसे यादगार ईद है.

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