Tuesday 23 August 2016

सामने आई अमेरिका में बने सबसे बड़े हिंदू मंदिर की तस्वीर


अमेरिका के न्यू जर्सी में खुलने वाले सबसे बड़े हिंदू मंदिर की तस्वीर बेहद विहंगम है। रॉबिंसविले में यह मंदिर स्वामीनारायण संप्रदाय ने बनाया है। न्यू जर्सी उन शहरों में शामिल हैं जहां बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं। मंदिर का निर्माण बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था ने किया है।
162 एकड़ में फैले इस मंदिर की कलाकृति में प्राचीन भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं। यह मंदिर 134 फुट लंबा और 87 फुट चौड़ा है। इसमें 108 खंभे और तीन गर्भगृह हैं। यह मंदिर शिल्पशास्त्र के मुताबिक बनाया गया है। 1.8 करोड़ यूएस डॉलर (लगभग 108 करोड़ रुपए) की लागत से निर्माणित इस मंदिर में 68 हजार क्युबिक फीट इटालियन करारा मार्बल का उपयोग हुआ है।
श्री स्वामीनारायण मंदिर की कलात्मक डिजाइन के लिए 13,499 हजार पत्थरों का उपयोग किया गया है। पत्थरों पर नक्काशी का पूरा काम भारत में ही करवाया गया है।
Photo Source- AIR
News source - IBN Khabar

ये है आज का श्रवण कुमार, 20 साल से मां को करा रहा है तीर्थ

शख्स की नाम कैलाशगिरी ब्रह्मचारी है और यह मध्य प्रदेश के जबलपुर में हिनौता गांव का रहने वाला है। कैलाश तब 25 साल का था जब वह पहली बार अपनी मां को घर से लेकर निकला था। आज उसकी उम्र 45 साल हो चुकी है।

कैलाश ने पूर्व में एक समाचार पत्र को बताया था कि वह जब 14 साल के थे तब एक पेड़ से गिर गए थे। अगर मां ने ख्याल नहीं रखा होता तो व जिंदा न बचते। मां ने उनका ख्याल रखा और दिन-रात सलामती की दुआ की। मां ने तभी मन्नत मांगी थी कि वह चारों धाम के दर्शन करने जाएगी। मुझे लगा कि मां की मन्नत पूरी कराना मेरा कर्तव्य है।
पिछले 20 सालों में लगभग 40 हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं। उनकी यात्रा 1996 में गृहनगर जबलपुर से शुरू हुई थी। 20 साल, 3 महीने, 28 दिन से उसका ये सफर अनवरत जारी है। कैलाशगिरि ने वर्ष 1996 में एक कांवड़ बनाई थी और उसके एक हिस्से में मां को बिठा लिया जबकि दूसरे में खाने-पीने का सामान बर्तन रखकर चारधाम की यात्रा शुरू कर दी। कठोर संकल्प के साथ चारों धाम आठ ज्योतिर्लिंग के दर्शन कराने के बाद 2 फरवरी 2016 को वे मां को लेकर गांव पहुंचे तो मां ने कहा कि अभी वृंदावनधाम तो रह गया है। बस फिर क्या था उन्होंने बिना रुके उसी समय वृंदावनधाम की यात्रा शुरू कर दी।

वह सभी से माता-पिता की सेवा करने के लिए कहते हैं और ये संदेश देकर आगे बढ़ते रहते हैं।

News and Image source- IBN Khabar

Sunday 14 August 2016

आइये जानें लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में

यह ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिन्होंने 1965 में अपनी फीएट कार खरीदने के लिए पंजाब नेशनल बैंक से पांच हजार ऋण लिया था। मगर ऋण की एक किश्त भी नहीं चुका पाए। 1966 में देहांत हो जाने पर बैंक ने नोटिस भेजा तो उनकी पत्नी ने अपनी पेंशन के पैसे से कार के लिए लिया गया ऋण चुकाने का वायदा किया और फिर धीरे धीरे बैंक के पैसे अदा किए। हम बात कर रहे हैं प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने भी उनकी ईमानदार पूर्वक जिंदगी मेंउनका पूरा साथ दिया। शास्त्री की यह कार आज भी जनपथ स्थित उनकी कोठी जो अब संग्रहालय है में आज भी मौजूद है। अब इस कोठी में लालबहादुर शास्त्री संग्रहालय बना दिया गया है। शास्त्री का अस्थि कलश संग्रहालय में है। इस संग्रहालय में अनेक ऐसी चीजें प्रदर्शित की गई हैं। जो उनकी ईमानदारी को दर्शाती हैं। लोग यहां आकर उनकी सादगी और ईमानदारी भरी जिंदगी के बारे में जानकर भावुक हो जाते हैं। ऐसी एक घटना के बारे में बताना जरूरी हो जाता है। यह बात 1962 के करीब की है। उस समय शास्त्री जी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव थे। उस समय देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे। उन्हें पार्टी के किसी महत्वपूर्ण काम से कश्मीर जाना था। पंडित नेहरू जी ने शास्त्री जी जाने के लिए कहा तो वह लगातार मना कर रहे थे। पंडित नेहरू भी चकरा गए कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं। पंडित नेहरू उनका बहुत सम्मान करते थे। बाद में उन्होंने वहां नहीं जाने के बारे में कारण पूछ ही लिया। पहले तो वह बताने को राजी नहीं हुए, मगर बहुत कहने पर उन्होंने जो कुछ कहा उसे सुनकर पंडित नेहरू की भी आंखों में आंसू आ गए। शास्त्री जी ने बताया कि कश्मीर में ठंड बहुत पड़ रही है और मेरे पास गर्म कोट नहीं है। पंडित नेहरू ने उसी समय अपना कोट उन्हें दे दिया और यह बात किसी को नहीं बताई। लाल बहादुर शास्त्री जब प्रधानमंत्री बने तो इसी कोट को पहनते रहे। इस प्रकार दो प्रधानमंत्री ने पहना यह कोट। उनके लिए समर्पित इस संग्रहालय में यह कोट प्रदर्शित है। इसी संग्रहालय में प्रधानमंत्री का टूटा कंघा, टूटी टार्च, दाढ़ी बनाने वाली सामान्य मशीन, सामान्य ब्रस व अन्य सामान रखा हुवा है। जो वहां पहुंचने वाले हर व्यक्ति को चौंकाते हैं कि देश को ऐसा भी प्रधानमंत्री मिल चुका है। इसी संग्रहालय में उनका शयन कक्ष है जिसमें एक तख्त और कुछ कुर्सियां मौजूद हैं। जो कहीं से भी किसी विशिष्ठ व्यक्ति की नजर नहीं आतीं। ऐसे थे लाल बहादुर शास्त्री जी।

Thursday 11 August 2016

मित्रो ये पोस्ट दिल को छु जाने वाली है, आपका एक शेयर किसी अजन्मी बच्ची की जान बचा सकता है!



Forward to all your contacts "Save Girls " Child..

एक बार पढ़ जरुर लेना गर्भपात करवाना गलत माना गया है, कृपया इस लेख को अवश्य पढ़े और अगर इसे पढ़ कर आपके दिल की धड़कने बढ़ जाये तो शेयर अवश्य करे |

गर्भस्थ बच्ची की हत्या का आँखोँ देखा विवरण अमेरिका में सन 1984 में एक सम्मेलन हुआ था नेशनल राइट्स टू लाईफ कन्वैन्शन। इस सम्मेलन के एक प्रतिनिधि ने डॉ॰ बर्नार्ड नेथेनसन के द्वारा गर्भपात की बनायी गयी एक अल्ट्रासाउण्ड फिल्म 'साइलेण्ट स्क्रीम'  का जो विवरण दिया था, वह इस प्रकार है:-

गर्भ की वह मासूम बच्ची अभी दस सप्ताह की थी व काफी चुस्त थी। हम उसे अपनी माँ की कोख मेँ खेलते, करवट बदलते व अंगूठा चूसते हुए देख रहे थे। उसके दिल की धड़कनों को भी हम देख पा रहे थे और वह उस समय 120 की साधारण गति से धड़क रहा था। सब कुछ बिलकुल सामान्य था; किन्तु जैसे ही पहले औजार (सक्सन पम्प) ने गर्भाशय की दीवार को छुआ, वह मासूम बच्ची डर से एकदम घूमकर सिकुड़ गयी और उसके दिल की धड़कन काफी बढ़ गयी।

हालांकि अभी तक किसी औजार ने बच्ची को छुआ तक भी नहीं था, लेकिन उसे अनुभव हो गया था कि कोई चीज उसके आरामगाह, उसके सुरक्षित क्षेत्र पर हमला करने का प्रयत्न कर रही है। हम दहशत से भरे यह देख रहे थे कि किस तरह वह औजार उस नन्हीं मुन्नी मासूम गुड़िया- सी बच्ची के टुकड़े-टुकड़े कर रहा था। पहले कमर, फिर पैर आदि के टुकड़े ऐसे काटे जा रहे थे जैसे वह जीवित प्राणी न होकर कोई गाजर-- मूली हो और वह बच्ची दर्द से छटपटाती हुई, सिकुड़कर घूम---घूमकर तड़पती हुई इस हत्यारे औजार से बचने का प्रयत्न कर रही थी। वह इस बुरी तरह डर गयी थी कि एक समय उसके दिल की धड़कन 200 तक पहुँच गयी! जिसे डॉ॰ नेथेनसन ने उचित ही 'गूँगी चीख' या 'मूक पुकार' कहा है। अंत मेँ हमने वह नृशंस वीभत्स दृश्य भी देखा, जब सँडसी उसकी खोपड़ी को तोड़ने के लिए तलाश रही थी और फिर दबाकर उस कठोर खोपड़ी को तोड़ रही थी क्योँकि सिर का वह भाग बगैर तोड़े सक्शन ट्यूब के माध्यम से बाहर नहीं निकाला जा सकता था।' हत्या के इस वीभत्स खेल को सम्पन्न करने में करीब पन्द्रह मिनट का समय लगा और इसके दर्दनाक दृश्य का अनुमान इससे अधिक और कैसे लगाया जा सकता है कि जिस डॉक्टर ने यह गर्भपात किया था और जिसने मात्र कौतूहलवश इसकी फिल्म बनवा ली थी,उसने जब स्वयं इस फिल्म को देखा तो वह अपना क्लीनिक छोड़कर चला गया और फिर वापस नहीं आया !

मित्रो ये पोस्ट  दिल को छु जाने वाली है, आपका एक शेयर किसी अजन्मी बच्ची की जान बचा सकता है!


मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया है

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक, 2016 पेश किया है, जिसका उद्देश्य कामकाजी महिलाओं के मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना है। इस संबंध में मेटरनिटी बैनिफेट एक्ट में संसोधन राज्यसभा में पास हो गया। संशोधन में महिलाओं के मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया है। यह प्रस्ताव जल्द ही कानून की शक्ल अख्तियार कर लेगा।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में संसद में मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक, 2016 पेश करके किये जाने वाले संशोधनों को पिछली तिथि से मंजूरी दे दी। मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 महिलाओं को उनके प्रसूति के समय रोजगार का संरक्षण करता है और वह उसे उसके बच्चे की देखभाल के लिए कार्य से अनुपस्थिति के लिए पूरे भुगतान का हकदार बनाता है।
यह 10 या इससे अधिक कर्मचारियों को काम पर रखने वाले सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होगा। इससे संगठित क्षेत्र में 18 लाख महिला कर्मचारी लाभान्‍वित होंगी। इन संशोधनों में दो जीवित बच्चों के लिए मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना और दो बच्चों से अधिक के लिए 12 सप्ताह, कमीशनिंग मां और गोद लेने वाली मां के लिए 12 सप्ताह का अवकाश और 50 से अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों के लिए क्रेच का अनिवार्य प्रावधान शामिल है।
नौकरी पेशा महिलाओं के लिए ये काफी बड़ा बदलाव होगा। खास बात ये है‌ कि ये प्रस्ताव पास होता है तो सरकारी के साथ साथ निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिला कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिल सकेगा।
इस संबंध में मीडिया को जानकारी देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बताया था कि सरकार और उनका मंत्रालय पिछले डेढ़ साल से इस प्रस्ताव के लिए प्रयास कर रहा था। काफी प्रयासों के बाद यह प्रस्ताव सदन के पटल तक पहुंचा। हालांकि इस प्रस्ताव को श्रम मंत्रालय की ओर से पेश किया गया। 
मेनका ने बताया कि सरकार यह मानती है कि नवजात बच्चे को जन्‍म के बाद कम से कम छह माह तक मां का दूध जरूर मिलना चाहिए। ऐसे में जो महिलाएं नौकरीपेशा हैं उनके लिए जरूरी है कि उन्हें पर्याप्त अवकाश दिया जाए। 

Saturday 6 August 2016

माँ का बिल अनमोल


● “ये बिल क्या होता है माँ ?” ८ साल के बेटे ने माँ से पूछा।

● माँ ने समझाया -- “जब हम किसी से कोई सामान लेते हैं या काम कराते हैं, तो वह उस सामान या काम के बदले हम से पैसे लेता है, और हमें उस काम या सामान की एक सूची बना कर देता है, इसी को हम बिल कहते हैं।”

● लड़के को बात अच्छी तरह समझ में आ गयी। रात को सोने से पहले, उसने माँ के तकिये के नीचे एक कागज़ रखा, जिस में उस दिन का हिसाब लिखा था।

● पास की दूकान से सामन लाया  ५ रु
पापा के लिए कंघा लाया     ५ रु
दादाजी का सर दबाया     १० रु
माँ की चाभी ढूंढी          १० रु
कुल                        ३० रु

यह सिर्फ आज का बिल है , इसे आज ही चुकता कर दे तो अच्छा है।

● सुबह जब वह उठा तो उसके तकिये के नीचे ३० रु. रखे थे। यह देख कर वह बहुत खुश हुआ कि ये बढ़िया काम मिल गया।

● तभी उस ने एक और कागज़ वहीं रखा देखा। जल्दी से उठा कर, उसने कागज़ को पढ़ा। माँ ने लिखा था --
• जन्म से अब तक पालना पोसना --  रु ००
• बीमार होने पर रात रात भर
छाती से लगाये घूमना --                    रु ००
• स्कूल भेजना और घर पर
होम वर्क कराना  --                       रु ००
• सुबह से रात तक खिलाना, पिलाना,
कपडे सिलाना, प्रेस करना --           रु ००
• अधिक तर मांगे पूरी करना --   रु ००
कुल                                  रु ००

ये अभी तक का पूरा बिल है, इसे जब चुकता करना चाहो कर देना।

● लड़के की आँखे भर आयी, सीधा जा कर माँ के पैरों में झुक गया और मुश्किल से बोल पाया --“तेरे बिल में मोल तो लिखा ही नहीं है माँ, ये तो अनमोल है, इसे चुकता करने लायक धन तो हमारे पास कभी भी नहीं होगा। मुझे माफ़ कर देना , माँ।“

● माँ ने हँसते हुए उसे गले से लगा लिया ।
 🙏 🌷 🙏

Friday 5 August 2016

जानिये की मृत्यु के बाद भी कैसे कमाएं पुण्य


🌳
मृत्यु के बाद भी पुण्य कमाने के  7 (सात) आसान उपाय ।

.🔜 (1)= किसी को धार्मिक ग्रन्थ भैंट करे जब भी कोई उसका पाठ करेगा आप को पुण्य मिलेगा ।

🔜(2)= एक व्हीलचेयर किसी अस्पताल मे दान करे जब भी कोई मरीज उसका उपयोग करेगा पुण्य आपको मिलेगा।

श🔜(3)= किसी अन्नक्षेत्र के लिये मासिक ब्याज वाली एफ. डी बनवादे जब  भी उसकी ब्याज से कोई भोजन करेगा आपको पुण्य मिलेगा

🔜 (4)=किसी पब्लिक प्लेस पर  वाटर कूलर लगवाएँ हमेशा पुण्य मिलेगा।

🔜(5)= किसी अनाथ को शिक्षित करो वह और उसकी पीढ़ियाँ भी आपको दुआ देगी तो आपको पुण्य मिलेगा।

🔜(6)= अपनी औलाद को परोपकारी बना सके तो सदैव पुण्य मिलता रहेगा।

🔜( 7)= सबसे आसान है कि आप ये बाते औरों को बताये किसी एक ने भी अमल किया तो आपको पुण्य मिलेगा.....

Monday 1 August 2016

जानिये, शिव भगवान अपने शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं?


सावन का महीना चल रहा है, भक्त इस पूरे महीने में भगवान शिव की पूरे मन से पूजा करते हैं ताकि वह उन्हें खुश कर सके। माना जाता है की भगवान शिव इस महीने में अपने भक्तो की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं क्योंकि भगवान शिव अद्भुत व अविनाशी हैं। भगवान शिव को भस्मधारी भी कहा जाता है। शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंग हैं उनमें से एक उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर है। यह एक मात्र शिव लिंग है जहां शिवजी की भस्म आरती होती है। भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म धारण करते हैं। शरीर पर भस्म लगाकर भगवान शिव खुद को मृत आत्माओं से जोड़ते हैं। शिवमहापुराण के अनुसार मरने के बाद मृत व्यक्ति को जलाने के बाद बची हुई राख( भस्म) में जीवन का कोई कण शेष नहीं रहता। ऐसे में ना दुख, ना सुख, ना बुराई और ना ही कोई अच्छाई बचती है।
इसलिए वह भस्म पवित्र मानी जाती है। भस्म की एक विशेषता होती है कि यह शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है। इसका मुख्य गुण है कि इसको शरीर पर लगाने से गर्मी में गर्मी और सर्दी में सर्दी नहीं लगती। शिवपुराण में उल्लेख मिलता है कि, 'एक दिन संपूर्ण सृष्टि इसी राख (भस्म) में बदल जाएगी है। इसका यही अर्थ है कि एक दिन यह संपूर्ण सृष्टि शिवजी में विलीन हो जाएगी।'
शिवपुराण में वर्णित है कि भस्म तैयार करने के लिए कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर के वृक्ष की लकडिय़ों को एक साथ जलाया जाता है। इस दौरान उचित मंत्रोच्चार किए जाते हैं। इन चीजों को जलाने पर जो भस्म प्राप्त होती है, उसे कपड़े से छान लिया जाता है। इस प्रकार तैयार की गई भस्म शिवजी को अर्पित की जाती है।
शिवजी को अर्पित की गई भस्म का तिलक लगाना चाहिए। जिस प्रकार भस्म यानी राख से कई प्रकार की वस्तुएं शुद्ध और साफ की जाती हैं.


Source - Sanskar TV

क्या दुसरे प्रदेश में रहना इतना घातक हो सकता है


एक 33 साल के आर्मी मेजर को बैंगलोर में एक ऑटो चालाक द्वारा बुरी तरह मारा गया क्योंकि उसकी गाडी पर हरयाणा का नंबर था . एक कंपनी में कार्यरत युवा ने उस आदमी की जान बचायी.
ड्राइवर ने आर्मी के मेजर को बोला की उत्तर भारतीय होने के कारण उसको ड्राइविंग नही आती और गाडी से खींचकर पीड़ित की कार की विंड शील्ड भी तोड़ दी. आर्मी मेजर को गंभीर चोटें आयी है और वो बोलने की स्तिथि में भी nahi है. मामले में पुलिस को सुचना दे दी गयी है और अब तफ्तीश जारी है. उस ऑटो ड्राइवर को ढूंढ जा रहा है जिसने मानवता की हदें तोड़ दी.

Image source - Bangalore Mirror

खराब सड़कों ने एक साल में खत्म किया 10 हजार से ज्यादा जिन्दगियों का सफर



भारत में पिछले साल कुल 10,876 लोगों की सड़क के गड्ढों, स्पीड ब्रेकर्स और अंडर कंस्ट्रैक्ट रोड की वजह से मौत हुईं. जबकि इन घटनाओं में सड़क के गड्ढों के कारण मरने वालों की संख्या में 2014 की अपेक्षा पिछले साल 2015 में कमी आई थी. 2014 में जहां यह संख्या 3,416 वहीं 2015 में घटकर 3,039 कम हो गई.
सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार सड़क दुर्घटना के अन्तर्गत महाराष्ट्र की सड़कों में होने वाले गड्ढों की वजह से मरने वालों की संख्या में 7 गुना से ज्यादा की भारी बढ़ोत्तरी हुई है. वहीं एक गौर करने वाली बात ये है कि जो उत्तर प्रदेश बेकार सड़कों के लिए जाना जाता है, वहां साल 2015 में 2014 की तुलना में 50% तक की कमी आई. और अगर बात करें दिल्ली की जहां शनिवार शाम को एक बाइक सवार की सड़क के गड्ढे की वजह से मौत हो गई, उसी दिल्ली में साल 2015 में इस वजह से 2 मौत हुईं.
सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार 2015 में देशभर में सड़क के गड्ढों के कारण मरने वालों की कुल संख्या 10,876 है.यह आंकड़ा भी और अधिक भी हो सकता है क्योंकि मंत्रालय पास आंकड़े प्राप्त करने के लिए कोई मजबूत और वैज्ञानिक तरीका नहीं है. सरकारी विभागों के इंजीनियर्स का कहना है कि जब शहरों में हमारे पास बेहतर ड्रैनेज सिस्टम होगा, तब हम सड़कों में मौजूद गड्ढों को सही कर सकते हैं.
साथ ही ऐसी घटनाओं में ट्रैफिक पुलिस की नाकामी भी बड़े पैमाने पर देखने को मिलती है. सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा सड़क नियन्त्रण के नियम के नियम बनाए गए हैं जिनको निभाना हम सभी की जिम्मेदारी है.




Source - ABP News

भारतीय सेना का हम जितना भी शुक्रिया करें कम है



रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के मुताबिक भारतीय भूभाग में घुसने की कोशिश करते वाले आतंकवादियों को या तो गोली मार दी जाती है या उन्हें वापस जाने को मजबूर कर दिया जाता है. इस साल अब तक पाकिस्तान से भारत में प्रवेश की कोशिश करने वाले 70 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया है.
इस साल अब तक 14 जवान शहीद हुए हैं. यह आंकड़ा जाहिर करता है कि जब पांच आतंकवादी मारे गए तब भारत ने एक जवान खोया है. उन्होंने कहा कि जवानों की शहादत और आतंकियों के मारे जाने का अनुपात 1:5 है जबकि पहले यह 1:1.5 था.

कुपवाड़ा शहीद का भाई सेना में जाकर भाई के अधूरे सपने को करेगा पूरा



शहीद बबलू के छोटे भाई सतीश सिंह (21) ने कहा है कि वह भी सेना में भर्ती होना चाहता है. उसने वादा किया है कि वह भाई के अधूरे सपनों को पूरा करना चाहता है. वह इस समय एलएलबी का छात्र है. जनरल चौहान ने एक सवाल के जवाब में बताया कि सेना उनके इस जज़्बे का पूरा-पूरा सम्मान करते हुए इस महान इरादे को पूरा करने के लिए हरसंभव मदद करेगी. यदि उन्हें सेना में भर्ती होने का लक्ष्य पूरा करने के लिए किसी ट्रेनिंग आदि की जरूरत होगी, तो वह भी हासिल कराई जाएगी.



सैन्य प्रवक्ता ने बताया कि सिपाही बबलू सिंह नौगाम सेक्टर में तैनात थे. यह पोस्ट समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊॅंचाई पर बेहद कठिन और दुर्गम इलाके में स्थित है.
नियंत्रण रेखा पर गश्त करते हुए सेना की टुकड़ी ने कुछ आतंकवादियों की उपस्थिति को भांप लिया और तुरंत जवाबी कारवाई की. इसी दौरान सिपाही बबलू सिंह आदि ने अपनी जान की परवाह न करते हुए दो आतंकवादियों को मार गिराया. इस कार्यवाही में सिपाही बबलू सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें तुरंत नज़दीकी चिकित्सा पोस्ट ले जाया गया. परंतु वीर सैनिक को शहादत प्राप्त हुई. शहीद सिपाही बबलू सिंह मथुरा के गांव झण्डीपुर के निवासी थे. उनके परिवार में पत्नी रविता देवी, पु़त्र द्रोण व पुत्री गरिमा हैं.