Saturday 14 January 2017

ट्रेन


वो ट्रेन के रिजर्वेशन के डब्बे में बाथरूम के तरफ वाली एक्स्ट्रा सीट पर बैठी थी,……

उसके चेहरे से पता चल रहा था कि थोड़ी सी घबराहट है उसके दिल में कि कहीं टीसी ने आकर पकड़ लिया तो।
कुछ देर तक तो पीछे पलट-पलट कर टीसी के आने का इंतज़ार करती रही।

शायद सोच रही थी कि थोड़े बहुत पैसे देकर कुछ निपटारा कर लेगी। देखकर यही लग रहा था कि जनरल डब्बे में चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें
आकर बैठ गयी, शायद ज्यादा लम्बा सफ़र भी नहीं करना होगा।

सामान के नाम पर उसकी गोद में रखा एक छोटा सा बेग दिख रहा था। मैं बहुत देर तक कोशिश करता रहा पीछे से उसे देखने की कि शायद चेहरा
सही से दिख पाए लेकिन हर बार असफल ही रहा।

फिर थोड़ी देर बाद वो भी खिड़की पर हाथ टिकाकर सो गयी। और मैं भी वापस से अपनी किताब पढ़ने में लग गया।
लगभग 1 घंटे के बाद टीसी आया और उसे हिलाकर उठाया।
“कहाँ जाना है बेटा”

“अंकल अहमदनगर तक जाना है”
“टिकेट है ?”
“नहीं अंकल …. जनरल का है ….

लेकिन वहां चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें बैठ गयी”
“अच्छा 300 रुपये का पेनाल्टी बनेगा”

“ओह … अंकल मेरे पास तो लेकिन 100 रुपये ही हैं”
“ये तो गलत बात है बेटा …. पेनाल्टी तो भरनी पड़ेगी”

“सॉरी अंकल …. मैं अलगे स्टेशन पर जनरल में चली जाउंगी …. मेरे पास सच में पैसे नहीं हैं …. कुछ परेशानी आ गयी, इसलिए
जल्दबाजी में घर से निकल आई …

और ज्यदा पैसे रखना भूल गयी…. ” बोलते बोलते वो लड़की रोने लगी टीसी उसे माफ़ किया और 100 रुपये में उसे अहमदनगर तक उस डब्बे
में बैठने की परमिशन देदी।

टीसी के जाते ही उसने अपने आँसू पोंछे और इधर-उधर देखा कि कहीं कोई उसकी ओर देखकर हंस तो नहीं रहा था।

थोड़ी देर बाद उसने किसी को फ़ोन लगाया और कहा कि उसके पास बिलकुल भी पैसे नहीं बचे हैं … अहमदनगर स्टेशन पर कोई
जुगाड़ कराके उसके लिए पैसे भिजा दे, वरना वो समय पर गाँव नहीं पहुँच पायेगी।

मेरे मन में उथल-पुथल हो रही थी, न जाने क्यूँ उसकी मासूमियत देखकर उसकी तरफ खिंचाव सा महसूस कर रहा था,
दिल कर रहा था कि उसे पैसे देदूं और कहूँ कि तुम परेशान मत हो … और रो मत …. लेकिन एक अजनबी के लिए इस तरह की बात
सोचना थोडा अजीब था।

उसकी शक्ल से लग रहा था कि उसने कुछ खाया पिया नहीं है शायद सुबह से … और अब तो उसके पास पैसे भी नहीं थे।

बहुत देर तक उसे इस परेशानी में देखने के बाद मैं कुछ उपाय निकालने लगे जिससे मैं उसकी मदद कर सकूँ और फ़्लर्ट भी ना कहलाऊं। फिर
मैं एक पेपर पर नोट लिखा,

“बहुत देर से तुम्हें परेशान होते हुए देख रहा हूँ, जनता हूँ कि एक अजनबी हम उम्र लड़के का इस तरह तुम्हें नोट भेजना अजीब भी होगा और शायद तुम्हारी नज़र में गलत भी, लेकिन तुम्हे इस तरह परेशान देखकर मुझे बैचेनी हो रही है इसलिए यह 500 रुपये दे रहा हूँ , तुम्हे कोई अहसान न लगे इसलिए मेरा एड्रेस भी लिख रहा हूँ ….. जब तुम्हें सही लगे मेरे एड्रेस पर पैसे वापस भेज सकती हो ….वैसे मैं नहीं चाहूँगा कि तुम वापस करो ….. अजनबी हमसफ़र ”

एक चाय वाले के हाथों उसे वो नोट देने को कहा, और चाय वाले को मना किया कि उसे ना बताये कि वो नोट मैंने उसे भेजा है। नोट मिलते ही उसने दो-तीन बार पीछे पलटकर देखा कि कोई उसकी तरह देखता हुआ नज़र आये तो उसे पता लग जायेगा कि किसने भेजा। लेकिन मैं तो नोट भेजने के बाद ही मुँह पर चादर डालकर लेट गया था। थोड़ी देर बाद चादर का कोना हटाकर देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कराहट महसूस की। लगा जैसे कई सालों से इस एक मुस्कराहट का इंतज़ार था। उसकी आखों की चमक ने मेरा दिल उसके हाथों में जाकर थमा दिया …. फिर चादर का कोना हटा- हटा कर हर थोड़ी देर में उसे देखकर
जैसे सांस ले रहा था मैं। पता ही नहीं चला कब आँख लग गयी। जब आँख खुली तो वो वहां नहीं थी …

ट्रेन अहमदनगर स्टेशन पर ही रुकी थी। और उस सीट पर एक छोटा सा नोट रखा था ….. मैं झटपट मेरी सीट से उतरकर उसे उठा लिया .. और उस पर लिखा था…

Thank You मेरे अजनबी हमसफ़र ….

आपका ये अहसान मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूलूँगी …. मेरी माँ आज मुझे छोड़कर चली गयी हैं …. घर में मेरे अलावा और कोई नहीं है इसलिए
आनन – फानन में घर जा रही हूँ।

आज आपके इन पैसों से मैं अपनी माँ को शमशान जाने से पहले एक बार देख पाऊँगी ….

उनकी बीमारी की वजह से उनकी मौत के बाद उन्हें ज्यादा देर घर में नहीं रखा जा सकता। आजसे मैं आपकी कर्ज़दार हूँ …
जल्द ही आपके पैसे लौटा दूँगी। उस दिन से उसकी वो आँखें और वो मुस्कराहट जैसे मेरे जीने की वजह थे …. हर रोज़ पोस्टमैन से पूछता था शायद किसी दिन उसका कोई ख़त आ जाये …. आज 1 साल बाद एक ख़त मिला … आपका क़र्ज़ अदा करना चाहती हूँ …. लेकिन ख़त के ज़रिये नहीं आपसे मिलकर … नीचे मिलने की जगह का पता लिखा था …. और आखिर में लिखा था .. अजनबी हमसफ़र ……

Thursday 5 January 2017

डाकघरों को मिला बैंक का दर्जा, नया नाम होगा इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक


भारतीय डाक को एक बैंक में तब्दील करने की सरकार की मंशा अब पूरी हो गई है। आरबीआइ ने भारतीय डाक को पेमेंट बैंक के तौर पर काम करने के प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे दी थी और अब केंद्र सरकार ने भी इसे हरी झंडी दिखा दी है।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश भर के डाकघरों को बैंक का दर्जा दिया गया है और ये बहुत जल्द ही ‘इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक’ के नाम से जाना जाएगा।

जल्द ही देश भर भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक (आइपीपीबी) के नाम से यह काम शुरु कर देगा। कैबिनेट ने फिलहाल पोस्ट बैंक को देश भर में 650 ब्रांच खोलने की इजाजत दी है लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है। बैंक पूरी तरह से प्रोफेशनल तरीके से चलाया जाएगा। संचार मंत्रालय इसके लिए एक सीइओ व अन्य प्रोफेशनल कर्मचारियों की नियुक्ति करेगा।
पेमेंट बैंक सितंबर 2017 से काम करना शुरू कर देगा। पोस्ट बैंक का पूंजी आधार 800 करोड़ रुपये होगा जिसमें 400 करोड़ रुपये इक्विटी के तौर पर और शेष 400 करोड़ रुपये की राशि बतौर ग्रांट उपलब्ध कराई जाएगी। यह पूरी तरह से सरकार की सौ फीसद हिस्सेदारी वाला उपक्रम होगा। प्रसाद ने बताया कि पहले उनके मंत्रालय ने तीन वर्षो में पोस्ट बैंक का पूरा विस्तार करने की योजना बनाई थी लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने इस काम को एक वर्ष के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है। संचार मंत्रालय ने इस चुनौती को स्वीकार किया है।
650 शाखाएं अौर 5000 नए एटीएम लगेंगे
वैसे तो इसके अभी सिर्फ 650 शाखाएं होंगी लेकिन भारतीय डाक के तकरीबन डेढ़ लाख डाक घर और इसमें कार्यरत 1.7 लाख डाकिये भी इसकी सेवाओं के प्रसार में अहम भूमिका निभाएंगे। वैसे 650 शाखाओं के लिए 3500 नए कर्मचारियों की भर्ती भी होगी। साथ ही 5000 नए एटीएम भी खोले जाएंगे। मौजूदा डाक घरों को बैंकिंग सोल्यूशंस से जुड़े तकनीकी से पोस्ट बैंक से जोड़ दिया जाएगा। जिससे दूर दराज के गांव के लोगों को भी हर तरह की बैंकिंग सेवा मिलेगी।
प्रसाद ने बताया कि डाकिये को पोस्ट बैंक के मुताबिक बनाने का काम भी शुरु हो रहा है। हर डाकिये को आइ-पैड और बेहतर स्मार्ट फोन देने के सुझाव पर विचार हो रहा है। वैसे हर डाकिये को एक छोटा सा हैंड हेल्ड मशीन भी दी जाएगी जिससे वे ग्राहकों को घर पर ही हर तरह की बैंकिंग सेवा दे सकेंगे। पोस्ट बैंक कई तरह की सेवाएं देगा मसलन दूसरे बैंकों के लिए मासिक किस्त वसूलना, साधारण व जीवन बीमा देना, पेंशन, म्यूचुअल फंड्स आदि में निवेश की सुविधा उपलब्ध कराने का काम भी यह करेगा।
क्या क्या करेगा पोस्ट बैंक
1. एक लाख रुपये तक का भुगतान व जमा
2. दूसरे बैंकों के लिए मासिक किस्त वगैरह वसूलना
3. बीमा, पेंशन व म्यूचुअल फंड की बिक्री
4. सरकार की स्कीमों को ग्रामीण इलाकों में पहुंचाना

IIT बॉम्बे के छात्रों द्वारा बनाया गया सैटेलाइट ‘प्रथम’ लॉन्च


गौरतलब है कि ‘प्रथम’ या ‘SCATSAT-1 ’पहला सैटेलाइट कार्यक्रम है, जिसे देश में स्टूडेंट्स के द्वारा शुरू किया गया. इसे पांच साल के सागर और मौसम का अध्ययन करने के लिए भेजा जाएगा. इसके अलावा प्रथम के साथ अल्‍जीरिया, कनाडा और अमेरिका के साथ बंगलूरु के बनाए गए सैटेलाइट शामिल होंगे.
दरअसल, मुख्य सैटेलाइट 720 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूर्य-स्थैतिक कक्षा में रहेगा. इन सैटेलाइट से होने वाले वैज्ञानिक अध्ययन से संचार त्रुटियों को ठीक करने में मदद मिलेगी और सुनामी की चेतावनी में भी मदद मिलेगी. इसके सफल प्रक्षेपण से मौसम का सटीक अंदाज़ा लगाने में काफ़ी सहायता मिलेगी

इस तरह तकनीक के क्षेत्र में भारतीय छात्रों ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया आयाम हासिल करने की ओर अपना कदम बढ़ा दिया है.
IIT बॉम्बे के छात्रों द्वारा बनाया गया सैटेलाइट ‘प्रथम’ लॉन्च होगा, फिर भारत का डंका बजेगा