Saturday 30 July 2016

बेटियां

बिटिया  थोड़ी बड़ी हो गयी,
एक रोज उसने बड़े सहज भाव में अपने पिता से पूछा -

"पापा, क्या मैंने आपको कभी रुलाया" ?

पिता ने कहा -"हाँ "

उसने बड़े आश्चर्य से पूछा - "कब" ?

पिता ने बताया - 'उस समय तुम करीब एक साल की थीं,
घुटनों पर सरकती थीं।
मैंने तुम्हारे सामने पैसे, पेन और खिलौना रख दिया
क्योंकि मैं ये देखना चाहता था कि, तुम तीनों में से किसे उठाती हो
तुम्हारा चुनाव मुझे बताता कि, बड़ी होकर तुम किसे अधिक महत्व देतीं।
जैसे पैसे मतलब संपत्ति,
पेन मतलब बुद्धि और
खिलौना मतलब आनंद।
मैंने ये सब बहुत सहजता से लेकिन उत्सुकतावश किया था
क्योंकि मुझे सिर्फ तुम्हारा चुनाव देखना था। तुम

एक जगह स्थिर बैठीं टुकुर टुकुर उन तीनों वस्तुओं को देख रहीं थीं।

मैं तुम्हारे सामने उन वस्तुओं की दूसरी ओर खामोश बैठा बस तुम्हें ही देख रहा था।

तुम घुटनों और हाथों के बल सरकती आगे बढ़ीं,
मैं अपनी श्वांस रोके तुम्हें ही देख रहा था

और क्षण भर में ही तुमने तीनों वस्तुओं को आजू बाजू सरका दिया और उन्हें पार करती हुई आकर सीधे मेरी गोद में बैठ गयीं।
मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि, उन तीनों वस्तुओं के अलावा तुम्हारा एक चुनाव मैं भी तो हो सकता था।

तभी तुम्हारा तीन साल का भाई आया ओर पैसे उठाकर चला गया,

वो पहली और आखरी बार था बेटा जब, तुमने मुझे रुलाया.. और बहुत रुलाया।

आखिर बेटी तो बेटी ही होती है भगवान की दी हुई सबसे अनमोल धरोहर है बेटी--

कुदरत की सबसे प्यारी सोगात हे बेटी।

विरल दिल की धड़कन होती हे बेटी।

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Thursday 21 July 2016

माँ के इस मंदिर के फ़र्श पर सोने से हो जाती है महिलायें गर्भवती......



निसंतान लोग संतान के लिए क्या क्या नहीं करते। ऐसा ही कुछ हिमाचल प्रदेश के एक गांव में होता है। हिमाचल के सिमस गांव में एक ऐसा मंदिर है जिसके फर्श पर सोने से निसंतान महिलाएं प्रेगनेंट हो जाती हैं। कहते हैं कि खुद देवी मां उनको सपनों में आकर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं और महिलाओं को संतान का सुख प्राप्त होता है। दूर-दूर से हजारों नि:संतान महिलाएं इस खास फर्इश पर सोने के लिए इस मंदिर में आती हैं। यह मंदिर संतानदात्री के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रों में यहां सलिन्दरा उत्सव मनाया जाता है जिसका अर्थ है सपने आना। इस समय नि:संतान महिलाएं दिन रात मंदिर के फर्श पर सोती हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से वो जल्द से जल्द प्रेगनेंट हो जाती हैं। दावा किया जाता है कि माता सिमसा सपने में महिला को फल देती हैं तो उस महिला को संतान का आशीर्वाद मिल जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं फल देखकर लड़का या लड़की होने का पता भी चल जाता है। यदि किसी महिला को अमरुद का फल मिलता है तो उसे लड़का प्राप्त होने का आशीर्वाद मिलता है और अगर किसी को भिन्डी प्राप्त होती है तो लड़की। कहा जाता है कि अगर किसी महिला को निसंतान बने रहने का स्वप्न दिखता है इसके बाद भी वह मंदिर से नहीं जाती है तो उसके शरीर में खुजली भरे लाल-लाल दाग उभर आते हैं। 


Source--Amar Ujala



माँ के इस मंदिर के फ़र्श पर सोने से हो जाती है महिलायें गर्भवती......



निसंतान लोग संतान के लिए क्या क्या नहीं करते। ऐसा ही कुछ हिमाचल प्रदेश के एक गांव में होता है। हिमाचल के सिमस गांव में एक ऐसा मंदिर है जिसके फर्श पर सोने से निसंतान महिलाएं प्रेगनेंट हो जाती हैं। कहते हैं कि खुद देवी मां उनको सपनों में आकर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं और महिलाओं को संतान का सुख प्राप्त होता है। दूर-दूर से हजारों नि:संतान महिलाएं इस खास फर्इश पर सोने के लिए इस मंदिर में आती हैं। यह मंदिर संतानदात्री के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रों में यहां सलिन्दरा उत्सव मनाया जाता है जिसका अर्थ है सपने आना। इस समय नि:संतान महिलाएं दिन रात मंदिर के फर्श पर सोती हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से वो जल्द से जल्द प्रेगनेंट हो जाती हैं। दावा किया जाता है कि माता सिमसा सपने में महिला को फल देती हैं तो उस महिला को संतान का आशीर्वाद मिल जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं फल देखकर लड़का या लड़की होने का पता भी चल जाता है। यदि किसी महिला को अमरुद का फल मिलता है तो उसे लड़का प्राप्त होने का आशीर्वाद मिलता है और अगर किसी को भिन्डी प्राप्त होती है तो लड़की। कहा जाता है कि अगर किसी महिला को निसंतान बने रहने का स्वप्न दिखता है इसके बाद भी वह मंदिर से नहीं जाती है तो उसके शरीर में खुजली भरे लाल-लाल दाग उभर आते हैं। 


Source--Amar Ujala



Wednesday 20 July 2016

इस अस्पताल में नवजात शिशु से लेकर 18 साल तक के बच्चों का बिना किसी फीस के दिल का ऑपरेशन होता है.


स्पताल का नाम सत्य साईं संजीवनी है. 30 एकड़ में फैले इस अस्पताल की नींव चार साल पहले साल 2012 में रखी गई थी. पड़ताल में पता चला कि यहां नवजात शिशु से लेकर 18 साल तक के बच्चों का बिना किसी फीस के दिल का ऑपरेशन होता है.
2012 में अस्पताल बना और 2013 तक यहां 776 ऑपरेशन किए जा चुके थे. 2016 में ये आंकड़ा 2100 ऑपरेशन के पार पहुंच चुका है.
प्रधानमंत्री मोदी भी इस अस्पताल का दौरा कर चुके हैं और तारीफ भी. अस्पताल में ये भीड़ बता रही है कि यहां कितने मरीज आते हैं. देश के अलग-अलग कोनों के अलावा विदेश से भी बच्चों के इलाज के लिए लोग यहां आ रहे हैं. सिर्फ इलाज ही नहीं बीमार बच्चे और उसके परिजन के रहने और खाने की व्यवस्था भी की जाती है.
पंजाब के अमृतसर से बेटी का इलाज करवाने आई कविता के पति रिक्शा चलाते हैं. कविता के मुताबिक बच्ची के ऑपरेशन का खर्च डॉक्टर ने पांच लाख रुपए बताया था. लेकिन अब बिना एक भी पैसा खर्च किए कवित की बेटी का इलाज रायपुर के इस अस्पताल में हो रहा है.

अब आप भी सड़क पर किसी घायल को देखें तो मदद करने से हिचकिचाइगा नहीं. आपकी मदद किसी की जान बचा जा सकती है


ड़क दुर्घटना में घायल की मदद करने वाले लोगों को परेशानी से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से बनाए गए दिशा निर्देश को मंज़ूरी दी है और पूरे देश में इसका पालन किए जाने को कहा है. अदालत ने सरकार से कहा है कि वो टीवी और अख़बारों में इस बात का प्रचार करे.
सुप्रीम कोर्ट ने जिन दिशा निर्देशों को मंजूरी दी है उसके मुताबिक दुर्घटना के बाद पुलिस या एम्बुलेंस को बुलाने वाले से जबरन उसकी पहचान नहीं पूछी जाएगी. अगर वो पहचान बताए बिना जाना चाहे तो जाने दिया जाएगा. अस्पताल घायल का तुरंत इलाज शुरू करेंगे और पुलिस के आने तक मदद करने वाले रोका नहीं जाएगा.
अगर घायल की मदद करने वाला अपनी पहचान बताता है और जांच में मदद को तैयार है तब भी उसे कम से कम परेशान किया जाए. पुलिस या कोर्ट उसका बयान एक ही बार में दर्ज करें. उसे बार-बार पेश होने को नहीं कहा जाएगा. अगर वो शख्स बयान के लिए आने में असमर्थ हो तो उसे वीडियो कांफ्रेसिंग की सुविधा दी जाए या उसकी सुविधा की जगह पर जाकर बयान दर्ज किया जाए.
नई गाइडलाइंस में अस्पताल की जवाबदेही भी तय की गई है. अस्पताल में घायल का इलाज ना करने वाले डॉक्टर को प्रोफेशनल मिसकंडक्ट का दोषी माना जाएगा. अस्पताल में अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में बोर्ड लगाए जाएंगे, जिसमे लिखा होगा कि सड़क दुर्घटना में घायल की मदद करने वालों को अस्पताल में परेशान नहीं किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के ये दिशा निर्देश कितनी जिंदगिया बचा सकते हैं ये समझने के लिए जरा कुछ आंकड़ों पर गौर कीजिए.
साल 2014 के आंकड़ों के मुताबिक देश में हर रोज सड़क दुर्घटना में 382 मौतें हुईं. 2014 में 4 लाख 89 हजार से ज्यादा सड़क हादसे हुए. जिसमें 1 लाख 39 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर मिनट एक सड़क दुर्घटना होती है और हर चौथे मिनट एक मौत.
चौंकाने वाली बात ये है कि सड़क दुर्घटना में मारे जाने वाले 50 फीसदी लोगों की जान बचाई जा सकती है अगर उन्हें सही समय पर मदद मिल सके.
अब आप भी सड़क पर किसी घायल को देखें तो मदद करने से हिचकिचाइगा नहीं. आपकी मदद किसी की जान बचा जा सकती है

Tuesday 19 July 2016

हर बैंक एटीएम धारक से बिना कोई पैसे लिए उसका दुर्घटना बीमा करता है जो 5 लाख तक हो सकता है. #information


आपका किसी भी बैंक में अकाउंट है और आप एटीएम का इस्तेमाल करते हैं तो बैंक ने आपका 25 हजार से लेकर पांच लाख रुपए का दुर्घटना बीमा कराया है. बीमा योजना में बिना कोई राशि जमा किए विकलांगता से लेकर मौत होने तक के मुआवजे का प्रावधान है. लेकिन 95 फीसदी एटीएम धारकों को इस योजना का पता ही नहीं है.
बैंक के एटीएम का प्रयोग करने के 45 दिनों के अंदर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो वो बीमा पॉलिसी के तहत मुआवजा पाने का हकदार होता है इस योजना को शुरू हुए कई साल हो चुके हैं. अगर आपके पास प्लेटिनम कार्ड है जो आपके कार्ड पर 2 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा का प्रावधान है. अगर आपके पास क्लासिक कार्ड या फिर किसान डेबिट कार्ड है तो उस पर 50 हजार रुपए की राशि तय की गई है पीएनबी मित्र एटीएम कार्ड पर 25 हजार रुपए का दुर्घटना बीमा होता है. जबकि मास्टर रक्षक प्लेटिनम कार्ड पर 5 लाख रुपए का बीमा राशि तय की गई है.
दुर्घटना बीमा की ये प्रक्रिया क्या है और मुआवजा कैसे मिलता है वो जान लीजिए.
स्कीम के मुताबिक अगर किसी एटीएम धारक की दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उसके परिवार के सदस्य को 2 महीने से लेकर 5 महीने के भीतर बैंक की उस ब्रांच में जाना होगा जहां उस शख्स का खाता था और वहां पर मुआवजे को लेकर एक एप्लीकेशन देनी होगी.
अगर आपके पास किसी एक बैंक में एक ही अकाउंट हो या फिर उस बैंक की दूसरी ब्रांच में भी अकाउंट हो तो भी मुआवजा आपको किसी एक एटीएम पर ही मिलेगा जिससे पैसे का लेन-देन किया जा रहा हो. मुआवजा देने के पहले बैंक ये देखेंगे कि मौत से पहले पिछले 45 दिन के भीतर उस एटीएम से किसी तरह का वित्तीय लेन-देन हुआ था या नहीं.
बैंक में अकाउंट खुलने के बाद जैसे ही एटीएम आपको मिलता है बीमा पॉलिसी लागू हो जाती है. बैंक की तरफ से बीमा करवाया जाता है जिससे एटीएम धारक की मौत होने के बाद परिवार को मदद मिल सके.
शहर से लेकर गांवों तक बहुत कम लोग ऐसे बचे हैं जो एटीएम का इस्तेमाल ना करते हों लेकिन बड़ी संख्या में लोग एटीएम के दुर्घटना स्कीम के बारे में नहीं जानते.

Source- ABP news

कर्नाटक के पूर्व विधायक बाकिला हुकरप्पा कर रहे हैं मजदूरी. मेहनत की सच्ची मिसाल #salute #realindian


हुकरप्पा ने साल 1983 में राजनीति में कदम रखा था और पहली बार में बीजेपी के टिकट पर कर्नाटक की सुल्लिया विधानसभा सीट से जीतकर विधायक बने थे. बाकिला को ईमानदारी के लिए जाना जाता है. 19 महीने तक विधायक के पद पर रहने वाले बाकिला ने कॉलेज, हाईस्कूल, हॉस्टल, पुल और तीन सड़कों का निर्माण करवाया. 19 महीने बाकिला ने अपने क्षेत्र के विकास में लगा दिए और कभी भी पैसे का लालच नहीं किया.
आज अपने परिवार का पेट पालने के लिए बाकिला मजदूरी कर रहे हैं. दिनभर की कड़ी मेहनत करके वो 40-50 रुपए कमा लेते हैं. बाकिला के पास अपना घर तक नहीं था वो 21 साल तक अपनी पत्नी के घर में रहे. हाल ही में उन्होंने ये छोटी सी झोपड़ी बनाई है अब यही उनका अपना आशियाना है.
स्कूल, पुल और विकास के काम किए, लोग याद करते हैं उनकी मेहनत के लिए. तीसरी बार कोशिश की, उनका ग़ॉडफादर नहीं था. वो रोजी रोटी के लिए मजदूरी करने लगे. महत्वपूर्ण है सत्ता का सुख लेने के बाद भी वो मजदूरी करते हैं शायद ही कोई ऐसा करता हो.
हालांकि पूर्व विधायक होने की वजह से बाकिला हुकरप्पा को 30 हजार रुपए महीने पेंशन मिलती है. लेकिन उनका परिवार इतना बड़ा है कि ये 30 हजार रुपए पूरे नहीं पड़ते और उन्हें अपने खेत के साथ-साथ दूसरी जगह भी मजदूरी करनी पड़ती है.
बड़ी बात ये है कि उन्हें मजदूरी करने में शर्म नहीं आती. वो मेहनत में यकीन करते हैं और राजनीति में ईमानदारी की मिसाल पेश कर रहे हैं.

किसान के पास पैसे नहीं थे तो उसने खटिया से ही खेत जोत दिया. हमारे देश के किसानो को हमारा सलाम.


ये कहानी महाराष्ट्र के जलगांव में रहने वाले विठोबा मांडोले की है. पति पत्नी और बेटे ने मिलकर इस खटिया के जरिए तीन एकड़ खेत की जुताई की है.
25 साल पहले विठोबा मांडोले के पास अपनी खेती हुआ करती थी. लेकिन कर्ज ने अपनी जमीन छीन ली. विठोबा के पास अपना खेत नहीं था लेकिन अच्छी बारिश के अनुमान ने विठोबा को हिम्मत दी. विठोबा ने तीन एकड़ खेत बटाई यानि किराए पर लिया और उसमें खेती करने का फैसला किया.
खेत जोतने के लिए बैल औजार नहीं थे लेकिन विठोबा ने बिना बैल और औजार के ही दो दिन के भीतर एक खटिया के जरिए 3 एकड़ खेत जोत दिया.
मुश्किल ये थी कि खुद की जमीन नहीं होने की वजह से विठोबा को कर्ज भी नहीं मिल रहा था लेकिन विठोबा की हिम्मत को देखकर कृषि विभाग भी हैरान रह गया है. ये विठोबा की मेहनत का कमाल है कि कृषि विभाग के कर्मचारी योजना से मदद नहीं कर पाए तो सबने चंदा करके विठोबा को दस हजार रुपए की मदद दी है.
महाराष्ट्र में पिछले दो सालों में सूखे की वजह से कई किसानों की आत्महत्या की खबरें सुर्खियां बनती रही हैं उसी महाराष्ट्र से एक किसान का ऐसा कमाल हर किसी के लिए मिसाल है. विठोबा ने जोते हुए खेत में कपास लगाई है और उम्मीद कर रहे हैं अच्छी बारिश से उनके खेत में लहलहाती फसल खड़ी होगी.

Thursday 14 July 2016

लाठी को बनाया पैर, हारी नहीं हिम्‍मत

40 सालों से सिर्फ एक पैर से हल चलाकर परिवार का पेट पालता है ये किसान


 झांसी. बुंदलेखंड का एक किसान पूरे देश के किसानों के लिए एक मिसाल बन चुका है। साहूकारों का कर्ज उतारने और परिवार का पेट पालने के लिए ये किसान पिछले 40 साल से सिर्फ एक पैर के सहारे हल चलाकर खेती कर रहा है। वो कटे हुए दाएं पैर में कमर से लाठी बांधकर खेत की जुताई करता है।
बांदा जिले के बेबरू गांव में देवराज सिंह यादव नाम का किसान रहता है। उसकी उम्र 60 साल है। उसके बाद करीब तीन बीघा खेत है। देवराज ने बताया कि करीब 40 साल पहले वो अपना खेत जोत रहे थे, तभी एक बैल ने उन पर हमला कर दिया। हमले में उनका दायां पैर बुरी तरह से जख्मी हो गया। इसके बाद डॉक्‍टरों ने इलाज के दौरान उसे बताया कि अंदरूनी चोटों के कारण उसका दायां पैर पूरी तरह सड़ चुका है। उसे जिंदा रखने के लिए उन्हें पैर काटना पड़ेगा।

देवराज ने बताया कि एक पैर कट जाने के बाद भी वो हिम्‍मत नहीं हारे। परिवार का पेट पालना और साहूकारों का कर्ज चुकाने जैसी जिम्‍मेदारियां अधूरी थीं। ऐसे में उन्होंने जिंदगी को खत्म करने के बजाए उसे नए तरीके से शुरू करने की ठानी। देवराज ने लाठी को कटे हुए दाएं पैर पर बांधकर खेत में हल जोतना शुरू कर दिया। उनकी मानें तो इस काम में दर्द बहुत होता है, लेकिन परिवार का साथ दर्द का अहसास नहीं होने देता।
विकलांगता को कभी हावी नहीं होने दिया
देवराज ने बताया कि एक पैर कट जाने के बाद भी उन्‍होंने कभी खुद पर विकलांगता को हावी नहीं होने दिया। किस्मत को कोसकर घर बैठने के बजाए काम करने के बारे में सोचा। एक पैर के सहारे वो पिछले 40 साल से लगातार खेतों में पसीना बहा रहे हैं। इसी तरह काम करके उन्होंने पैसे जुटाए और बेटी सुनीता की शादी की। वहीं, बेटे को ग्रेजुएशन में एडमिशन दिलाया।

Source - Dainik Bhaskar

कृष्णा की तस्वीर दूर करेगी वास्तुदोष..



कृष्णा की तस्वीर दूर करेगी वास्तुदोष
श्री कृष्ण का हर स्वरूप इतना सुन्दर है। उनके हर स्वरूप के दर्शन से मन सकारात्मक उर्जा से भर जाता है। वास्तु के अनुसार घर में कृष्ण की तस्वीर लगाना बहुत शुभ माना गया है, तो आइए जानते की घर के किस कोने में कृष्ण के किस स्वरूप की तस्वीर शुभ फल देने वाली मानी जाती है।
– कृष्णा का मक्खन खाता हुआ चित्र रसोई घर में लगाना वास्तु के अनुसार बहुत शुभ माना जाता है।
– संतान सुख की प्राप्ति के लिए श्री कृष्ण के बालस्वरूप का चित्र बेडरुम में लगाएं।
– ध्यान रखें कि कृष्ण का फोटो स्त्री के लेटने के समय बिल्कुल मुख के सामने की दीवार पर रहे।
– यूं तो पति-पत्नी के कमरे में पूजा स्थल बनवाना या देवी-देवताओं की तस्वीर लगाना वास्तुशास्त्र में निषिद्ध है फिर भी राधा-कृष्ण की तस्वीर बेडरूम में लगा सकते हैं।
– भवन में महाभारत के युद्ध दर्शाने वाली तस्वीर वास्तुशास्त्र के अनुरूप नहीं माना जाता इसलिए ऐसे चित्र घर में न लगाएं।
– भगवान श्रीकृष्ण का चित्र आवासीय एवं व्यावसायिक दोनों ही स्थानों पर रखा जाना चाहिए, इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
– भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दृश्यों की तस्वीरों को भवन की पूर्व दिशा पर लगाया जा सकता है।
– वसुदेव द्वारा कृष्ण को टोकरी में लेकर नदी पार करने वाला फोटो को घर में लगाने से घर से कई तरह की समस्या दूर होने लगती है।

प्रेरणापूर्ण जीवंत उदाहरण - आई ऐ एस - रमेश घोलप / True Inspirational story of IAS Ramesh Ghopal



"बचपन में मां के साथ बेचते थे चूड़ी, IAS बनने के बाद ही लौटे अपने गांव"
रांची/धनबाद।
'चूड़ी ले लो...चूड़ी...' चूड़ी बेचने वाली यह आवाज कभी गांव की गलियों में हर दिन सुनाई पड़ती थी। पहले मां आवाज लगाती और फिर उनका पुत्र बार-बार इसे दोहरा कर खरीदार जुटाता। 10 साल की उम्र तक मां के साथ चूड़ी बेचने वाले उस बच्चे ने कमाल कर दिखाया। उस बच्चे की पहचान आज आईएएस रमेश घोलप के रूप में सबके सामने है। महाराष्ट्र के सोलापुर जिला के वारसी तहसील स्थित उसके गांव 'महागांव' में रमेश की संघर्ष की कहानी हर जुबान पर है। रमेश घोलप अभी बतौर एसडीओ झारखंड के बोकारो जिला स्थित बेरमो में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
इन्होंने अभाव के बीच ना सिर्फ आईएएस बनने का सपना देखा, बल्कि इसे अपनी मेहनत से सच भी कर दिखाया। काम किया, रुपए जुटाए और फिर पढ़ा। कलेक्टर बनने का सपना आंखों में संजोए रमेश पुणे पहुंचे। पहले प्रयास में विफल रहे, पर वे डटे रहे। साल 2011 में पुन: यूपीएससी की परीक्षा दी। इसमें रमेश 287वां स्थान प्राप्त कर आईएसएस बन चुके थे। पर खुशी तब दोगुनी हो गई, जब वे स्टेट सर्विस की परीक्षा में राज्य में प्रथम आ गए।
****"संघर्ष की कहानी, रमेश की जुबानी"***
#बचपन :
दिन में चूड़ी बेचता, रात में पढ़ता
दिन भर चूड़ी बेचने के बाद जो पैसे जमा होते थे, उसे पिताजी अपनी शराब पर खर्च कर देते थे। रहने के लिए ना घर था और पढ़ने के लिए ना पैसे। मौसी के इंदिरा आवास में ही हम रहते थे। मैट्रिक परीक्षा से एक माह पूर्व ही पिता का निधन हो गया। इस सदमे ने मुझे झकझोरा। विपरीत हालात में मैट्रिक परीक्षा दी और 88.50% अंक हासिल किया।
#पहली_नौकरी:
शिक्षक बना, मिला नया लक्ष्य
मैंने 2005 में इंटर पास किया और 2008 में डिप्लोमा करके शिक्षक की नौकरी की। यहां शिक्षकों के आंदोलन का नेतृत्व किया। आंदोलन करते हुए मांग पत्र देने तहसीलदार के पास जाता था। बस इसी ने मन में कौतुहल मचा दी। आखिर ऐसा क्यों कि कोई तहसीलदार और मैं सिर्फ एक शिक्षक। मैंने तहसीलदार बनने की ठान ली।
#संघर्ष:
गाय खरीदने के लिए मिले ऋण से पढ़ा
मां को सामूहिक ऋण योजना के तहत गाय खरीदने के नाम पर 18 हजार ऋण मिले। इस राशि ने मुझे पढ़ाई जारी रखने में मदद की। इसे लेकर मैं तहसीलदार की पढ़ाई करने निकला था। बाद में इसी रुपए से आईएएस की पढ़ाई की। दीवारों पर नेताओं की घोषणाओं, दुकानों का प्रचार व़ शादी की पेंटिंग कर पढ़ाई के पैसे की व्यवस्था करता था।
#जिद:
अफसर बन कर ही लौटा अपने गांव
मैंने वर्ष 2010 में अपनी मां को पंचायत के मुखिया के चुनाव में खड़ा किया। हमें लगता था जीत हमारी होगी, पर मां हार गई थी। इस हार के बाद मैंने गांव छोड़ने का निर्णय किया। मैंने तय कर लिया कि अब इस गांव में तभी आएंगे, जब अफसर बन जाएंगे। 4 मई 2012 को अफसर बनकर पहली बार गांव पहुंचा। जहां मेरा जोरदार स्वागत हुआ।
#संदेश :
टैलेंट है तो कोई नहीं रोक सकता।
मैंने गरीबी में बचपन गुजारा है। गरीबी को अच्छी तरह जानता हूं। मुझे लगा कि व्यवस्था को दो ही रास्ते पर चल कर बदला जा सकता है। पहला राजनीति में जाकर या फिर प्रशासनिक क्षेत्र में आकर। राजनीति में जाना सबके लिए संभव नहीं। यहां परिवार और समाज देखा जाता है जबकि प्रशासनिक क्षेत्र में ऐसा नहीं है। यहां टैलेंट बोलता है। अगर टैलेंट है, तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

Wednesday 13 July 2016

प्रेरणापूर्ण जीवंत उदाहरण - आई ऐ एस किंजल सिंह (Kinjal Singh- IAS)


अनाथ जीवन जीते
हुए बनीं आइएएस अफसर
किंजल सिंह आज एक आईएएस अफसर जरूर हैं लेकिन इस
मुकाम तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था
पिता, केपी सिंह की उनके ही महकमे के लोगों ने
कथित तौर पर 30 साल पहले हत्या कर दी थी.
घर में धमाचौकड़ी मचाने और गुडिय़ों से खेलने की उम्र
में वह लड़की मां के साथ बलिया से दिल्ली तक का
सफर पूरा करके सुप्रीम कोर्ट आती और पूरा दिन
अदालत में बैठने के बाद रात में फिर उसी सफर पर निकल
जाती. तब उसे अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि यह
संघर्ष पूरे 31 साल तक चलने वाला है. यह जद्दोजहद 5
जून, 2013 को उस समय जाकर खत्म हुई जब लखनऊ में
सीबीआइ की विशेष अदालत ने अपना फैसला
सुनाया. अदालत ने कहाः 1982 को 12-13 मार्च की
दरमियानी रात गोंडा के डीएसपी (किंजल के पिता)
के.पी.सिंह की हत्या के आरोप में 18 पुलिसवालों को
दोषी ठहराया जाता है. जिस वक्त फैसला आया,
किंजल बहराइच की डीएम बन चुकी थीं.
पिता की हत्या के समय वे महज छह माह की थीं
जबकि उनकी छोटी बहन प्रांजल का जन्म पिता की
मौत के छह माह बाद हुआ. उनकी मां विभा सिंह
इंसाफ के लिए अकेली लड़ती रहीं. डीएसपी सिंह
आइएएस बनना चाहते थे और उनकी हत्या के कुछ दिन
बाद आए परिणाम में पता चला कि उन्होंने आइएएस
मुख्य परीक्षा पास कर ली थी. किंजल बताती हैं,
“जब मां कहती थीं कि वे दोनो बेटियों को आइएएस
अफसर बनाएंगी तो लोग उन पर हंसते थे.” बनारस में
कोषालय कर्मचारी विभा सिंह की तनख्वाह का
ज्यादातर हिस्सा मुकदमा लडऩे में चला जाता था.
इस बीच किंजल को दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज
में प्रवेश मिल गया. यहां ग्रेजुएशन के पहले ही सेमेस्टर के
दौरान पता चला कि उनकी मां को कैंसर है और वह
अंतिम स्टेज में है. कीमोथैरेपी के कई राउंड से गुजर कर
विभा सिंह की हालत बेहद खराब हो गई थी लेकिन
बेटियों को दुनिया में अकेला छोड़ देने के डर से वे अपने
शरीर से लगातार लड़ रही थीं. किंजल बताती हैं, “एक
दिन डॉक्टर ने मुझसे कहा, “क्या तुमने कभी अपनी मां
से पूछा है कि वे किस तकलीफ से गुजर रही हैं?” जैसे ही
मुझे इस बात का एहसास हुआ, मैंने तुरंत मां के पास
जाकर उनसे कहा, मैं पापा को इंसाफ दिलवाऊंगी, “मैं
और प्रांजल आइएएस अफसर बनेंगे और अपनी
जिम्मेदारी निभा लेंगे. आप अपनी बीमारी से लडऩा
बंद कर दो. मां के चेहरे पर सुकून था. कुछ ही देर बाद वे
कोमा में चली गईं और कुछ दिन बाद उनकी मौत हो
गई.” यह बात है 2004 की.
किंजल को मां की मौत के दो दिन बाद ही दिल्ली
लौटना पड़ा क्योंकि उनकी परीक्षा थी. उसी साल
किंजल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी टॉप किया. इस बीच
उन्होंने छोटी बहन को भी दिल्ली बुला लिया और
मुखर्जी नगर में फ्लैट किराए पर लेकर दोनों बहनें
आइएएस की तैयारी में लग गईं. किंजल बताती हैं, “हम
दोनों दुनिया में अकेले रह गए. हम नहीं चाहते थे कि
किसी को भी पता चले कि हम दुनिया में अकेले हैं.”
2008 में दूसरे प्रयास में किंजल का चयन आइएएस के लिए
हो गया, उसी साल प्रांजल पहले ही प्रयास में
आइआरएस के लिए चुन ली गईं. फिलहाल किंजल लखनऊ
में विशेष सचिव हैं. अपनी मां को अपना आदर्श मानने
वाली किंजल कहती हैं, “यह लड़ाई मैं अपने मौसा-
मौसी और प्राजल के बगैर नहीं लड़ पाती.”

खाते में करोडो रूपए होने के बाद भी भूक से मरी वृद्धा


खाते में करोड़ों थे मगर बुढ़ापे की लाठी न थी। घर में न कोई खाना पूछने वाला था न पानी। बैंक तक जाकर करोड़ों की धनराशि में से फूटी कौड़ी भी निकालने की शरीर में हिम्मत न थी। नतीजा जो हुआ वह सुनकर चौक जाएंगे आप...। इस लाचारी ने अजमेर निवासी करोड़ों की मालकिन कनकलता को बुढ़ापे में भिखारी बना दिया। कभी गैरों को जरूरत पड़ने पर लाखों रुपये की मदद देने वाली कनकलता को बुढ़ापे में पास-पड़ोस से मांग-मांगकर दो जून की रोटी का इंतजाम करना पड़ा। अफसोस.... मरने पर भी दुश्वारियों ने पीछा नहीं छोड़ा और एक अदद कफन भी नसीब नहीं हुई। खैर बाद में किसी तरह पड़ोसियों ने चंदा लगाकर कफन का इंतजाम किया। अंतिम संस्कार से पहले वृद्धा के शरीर को ले जाते समय चौंकाने वाली बात हुई जब लोगो ने बेड हटाया तो उसके नीचे निकले लोहे के बाक्स में चार करोड़ कीमत के फिक्स डिपोजिट के कागजात मिले। पति प्रेमनारायण की दो साल पहले मौत हो जाने के बाद से कनकलता ने खुद को घर के एक कमरे में खुद को सीमित कर लिया था। कनकलता की मौत गुरुवार को हो गई थी मगर किसी को पता नहीं चला। जब चार दिन तक वो नजर नहीं आई तो पड़ोसियों ने आशंकावश दरवाजा खोला तो वो बेड पर मरीं मिलीं।
कागज में कोई नहीं था नामिनी
वृद्धा के फिक्स डिपोजिट कागजातों पर किसी नामिनी का जिक्र नहीं था। क्लेम के अभाव में संबंधित बैंकों ने कागजात अपने कब्जे में ले लिए। अब बैंकों को अधिकृत नामिनी के दावे का इंतजार है। हालांकि छत्तीसगढ़ के एक व्यक्ति ने मौके पर पहुंचकर वृद्धा को अपना दूर का रिश्तेदार बताया। मगर पड़ोसियों ने विरोध करते हुए कहा कि वृद्धा के बुरे दिनों में कभी उसने झांका तक नहीं। जिससे करोड़ों की मालकिन वृद्धा को आखिरी दिनों में फांकाकशी की मौत मिली।
परिवार का महत्व बताती है यह दुखभरी घटना
यह महज एक खबर नहीं बल्कि पैगाम भी है। वृद्धा की यह दुखभरी घटना जीवन में परिवार के महत्व को बताती है। बुढ़ापे में लाठी यानी संतान की अहमियत बताती है। संतान न भी हों तो घर में या फिर कोई चिर-परिचित नजदीकी जरूर होना चाहिए जो  कि किसी को बुढ़ापे में सहारा दे सके। नहीं तो लाखों-करोड़ों रुपये खाते में पड़े रह जाएंगे और वृद्धा जैसी मौत मिलेगी।

यहाँ मृत व्यक्ति को भी कुछ पलो के लिया किया जा सकता है ज़िंदा ....


भगवान शिव त्रिदेंवो में से एक हैं और उन्हें देवो के देव भी कहा जाता है। भारतवर्ष में भगवान शिव के हजारों मंदिर हैं जहाँ लोग उनकी विधि-विधान से पूजा करते हैं। शिव जी के हर मंदिर की अपनी खासियत होती है और दुनिया में अलग-अलग प्रकार के शिवलिंग भी देखने को मिलते हैं। आपने कई शिवलिंग देखे होंगे और उनकी पूजा भी की होगी पर क्या कभी आपने एक ऐसा शिवलिंग देखा है जिसमें आफ खुद की छवि देख सकते हैं।
उत्तराखंड के मसूरी से 75 किमी. उत्तर में लखमंडल गांव में एक मंदिर परिसर है, माना जाता है कि लाक्षाग्रह से बाहर निकलने के लिए पांडवों ने जिस गुफा का इस्तेमाल किया, वो लखमंडल में खत्म होती थी। यहां पहुंचने के बाद पांडवों ने कुछ समय के लिए यहीं रहने का निर्णय किया और इस जगह को लखमंडल नाम दिया। लखमंडल का तात्पर्य लाखों मंदिरों से है, जबकि वहां रहने वाले निवासियों का कहना है कि पांडवों ने लाक्षाग्रह की घटना के आधार पर इस जगह का नाम रखा था। लखमंडल में निवास के दौरान पांडवों ने इस मंदिर को बनवाया।
लखमंडल पौराणिक इतिहास और हिंदुत्व का बेहद शानदार उदाहरण पेश करता है। लखमंडल में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर परिसर है। इस मंदिर में कई छोटे-बड़े शिवलिंग देखने को मिलते है, लेकिन उनमें से सिर्फ़ एक ही शिवलिंग है जो लोगों को ख़ास तौर पर अपनी ओर आकर्षित करता है।
जो बात इस शिवलिंग को दूसरों से अलग बनाती है, वो ये है कि यह शिवलिंग इतना चमकदार है कि आप अपनी छवि को इसमें देख सकते हैं। गर्भग्रह में स्थापित ना होने के बावजूद, ग्रैफाइट पत्थर से बने इस शिवलिंग को मुख्य देवता के रूप में पूजा जाता है।  कहा जाता है कि यह शिवलिंग द्वापर युग में बनाया गया था और इसकी स्थापना स्वयं युधिष्ठिर ने की थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के मुताबिक, इसे 12वीं और 13वीं शताब्दी के बीच नागर शैली की वास्तुकला द्वारा बनाया गया था।
इसके अलावा मंदिर परिसर में और भी दिलचस्प चीजें हैं, मुख्य पुण्य-स्थल के पास दो मूर्तियां हैं, जिन्हें दानव और मानव के नाम से जाना जाता है. इन्हें मंदिर परिसर के पहरेदार के रूप में देखा जाता हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि किसी का अभी निधन हुआ हो, तो उसे इस परिसर में इन मूर्तियों के सामने लाकर कुछ क्षण के लिए जीवित किया जा सकता है।
दुखद बात तो यह है कि इस प्राचीन ऐताहासिक मंदिर का सही से ध्यान नहीं रखा जाता है। इन प्राचीन पुरातात्विक संरचनाओं पर मध्यकालीन इमारतों से कम ध्यान दिया जाता है।

Punjab Police DSP to save life...............





In this shocking incident reported in the media, Punjab Police DSP Gurmeet Singh Kingra is seen  jumping into the Bathinda branch of Sirhind Canal near Ludhiana in Punjab to save a drowning woman teacher on Sunday.
The woman teacher was among her four colleagues who jumped into the canal after police reportedly cane-charged them for protesting for better wages, regularization of their services and release of their detained colleagues.
The incident happened when about 400 teachers were planning a sit-in (dharna) near the incident site on Bathinda-Goniana Road. When the police reportedly told them to disperse, arguments broke out between the two sides.

It was then that the four of the women protesters jumped into the canal. Without wasting any time,  Deputy Superintendent of Police (DSP) Gurmeet Singh Kingra and Assistant Sub-Inspector (ASI) Kaul Singh too jumped into the waters to save them. 

Sunday 10 July 2016

भारतीय संस्कृति में सिन्दूर का महत्व ............



यदि पत्नी के माँगके बीचो बीच सिन्दूर लगा हुआ है तो उसके पति की अकाल मृत्यू नही हो सकती है।
जो स्त्री अपने माँगके सिन्दूर को बालोसे छिपा लेती है उसका पति समाज मेँ छिप जाता है।
जो स्त्री बीच माँग मेँ सिन्दूर न लगाकर किनारे की तरफ सिन्दूर लगाती है उसका पति उससे किनारा कर लेता है।
यदि स्त्री के बीच माँग मेँ सिन्दूर भरा है तो उसके पति की आयु लम्बी होतीहै।
रामायण मेँ एक प्रसंग आता है जब बालि और सुग्रीवके बीच युध्द हो रहा था तब श्रीरामने बालि को नही मारा।
जब बालि के हाथो मार खाकर सुग्रीव श्रीरामके पास पहुचा तो श्रीरामने कहा की तुम्हारी और बालि की शक्ल एक सी है इसिलिये मैँ भ्रमित हो गया
अब आप ही बताइये श्रीरामके नजरोसे भला कोई छुप सकता है क्या?
असली बात तो यह थी जब श्रीराम ने यह देख लिया की बालि की पत्नी तारा का माँग सिन्दूरसे भरा हुआ है तो उन्होने सिन्दूरका सम्मान करते हुये बालि को नही मारा ।
दूसरी बार जब सुग्रीवने बालिको ललकारा तब तारा स्नान कर रही थी उसी समय भगवानने देखा की मौका देखकर और बाण छोड दिया अब आप ही बताइये की जब माँग मेँ सिन्दूर भरा हो तो
परमात्मा भी उसको नही मारते फिर उनके सिवाय कोई और क्या मारेगा।
यह पोस्ट मै इसीलिये कर रही हूँ की आजकल फैसन चल रहा है सिन्दूर न लगाने की या हल्का लगाने की या बीच माँग मेँ न लगाकर किनारे लगाने की ।
मैँ आशा करती हूँ की मेरे इस पोस्टसे आप लोग सिन्दूरका महत्व समझ गयी होँगी और अपने पति की लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थय के लिये अपने पतिके नामका सिन्दूर अपने माँगमेँ भरे रहेगी।

क्या आप हनुमान चालीसा का अर्थ जानते है?



हम सब हनुमान चालीसा पढते हैं, सब रटा रटाया।

क्या हमे चालीसा पढते समय पता भी होता है कि हम हनुमानजी से क्या कह रहे हैं या क्या मांग रहे हैं?

बस रटा रटाया बोलते जाते हैं। आनंद और फल शायद तभी मिलेगा जब हमें इसका मतलब भी पता हो।

तो लीजिए पेश है श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित!!
       
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श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
📯《अर्थ》→ गुरु महाराज के चरण.कमलों की धूलि से अपने मन रुपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे।★
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बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।★
📯《अर्थ》→ हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन.करता हूँ। आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सदबुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए।★
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जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥1॥★
📯《अर्थ 》→ श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों,स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।★
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राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥★
📯《अर्थ》→ हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नही है।★
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महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥★
📯《अर्थ》→ हे महावीर बजरंग बली! आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी, सहायक है।★
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कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥★
📯《अर्थ》→ आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।★
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हाथ ब्रज और ध्वजा विराजे, काँधे मूँज जनेऊ साजै॥5॥★
📯《अर्थ》→ आपके हाथ मे बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।★
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शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥★
📯《अर्थ 》→ हे शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन! आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर मे वन्दना होती है।★
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विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥7॥★
📯《अर्थ 》→ आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है।★
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प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥8॥★
📯《अर्थ 》→ आप श्री राम चरित सुनने मे आनन्द रस लेते है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय मे बसे रहते है।★
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सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रुप धरि लंक जरावा॥9॥★
📯《अर्थ》→ आपने अपना बहुत छोटा रुप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके.लंका को जलाया।★
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भीम रुप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥★
📯《अर्थ 》→ आपने विकराल रुप धारण करके.राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उदेश्यों को सफल कराया।★
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लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥★
📯《अर्थ 》→ आपने संजीवनी बुटी लाकर लक्ष्मणजी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।★
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रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥★
📯《अर्थ 》→ श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा की तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।★
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सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्री पति कंठ लगावैं॥13॥★
📯《अर्थ 》→ श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से.लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।★
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सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद,सारद सहित अहीसा॥14॥★
📯《अर्थ》→श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।★
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जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते, कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥15॥★
📯《अर्थ 》→ यमराज,कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।★
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तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥★
📯《अर्थ 》→ आपनें सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।★
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तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥17॥★
📯《अर्थ 》→ आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।★
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जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥★
📯《अर्थ 》→ जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है की उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझ कर निगल लिया।★
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प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥★
📯《अर्थ 》→ आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह मे रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नही है।★
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दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥★
📯《अर्थ 》→ संसार मे जितने भी कठिन से कठिन  काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।★
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राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥21॥★
📯《अर्थ 》→ श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप.रखवाले है, जिसमे आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नही मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।★
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सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू.को डरना॥22॥★
📯《अर्थ 》→ जो भी आपकी शरण मे आते है, उस सभी को आन्नद प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक. है, तो फिर किसी का डर नही रहता।★
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आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हाँक ते काँपै॥23॥★
📯《अर्थ. 》→ आपके सिवाय आपके वेग को कोई नही रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक काँप जाते है।★
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥24॥★
📯《अर्थ 》→ जहाँ महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहाँ भूत, पिशाच पास भी नही फटक सकते।★
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा॥25॥★
📯《अर्थ 》→ वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है,और सब पीड़ा मिट जाती है।★
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥★
📯《अर्थ 》→ हे हनुमान जी! विचार करने मे, कर्म करने मे और बोलने मे, जिनका ध्यान आपमे रहता है, उनको सब संकटो से आप छुड़ाते है।★
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥ 27॥★
📯《अर्थ 》→ तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यो को आपने सहज मे कर दिया।★
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और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥★
📯《अर्थ 》→ जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन मे कोई सीमा नही होती।★
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥★
📯《अर्थ 》→ चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग मे आपका यश फैला हुआ है, जगत मे आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।★
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥★
📯《अर्थ 》→ हे श्री राम के दुलारे ! आप.सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।★
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अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥३१॥★
📯《अर्थ 》→ आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।★
1.) अणिमा → जिससे साधक किसी को दिखाई नही पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ मे प्रवेश कर.जाता है।★
2.) महिमा → जिसमे योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।★
3.) गरिमा → जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।★
4.) लघिमा → जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।★
5.) प्राप्ति → जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।★
6.) प्राकाम्य → जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी मे समा सकता है, आकाश मे उड़ सकता है।★
7.) ईशित्व → जिससे सब पर शासन का सामर्थय हो जाता है।★
8.)वशित्व → जिससे दूसरो को वश मे किया जाता है।★
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राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥★
📯《अर्थ 》→ आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण मे रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।★
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तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥★
📯《अर्थ 》→ आपका भजन करने से श्री राम.जी प्राप्त होते है, और जन्म जन्मांतर के दुःख दूर होते है।★
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अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥★
📯《अर्थ 》→ अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे।★
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और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥★
📯《अर्थ 》→ हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नही रहती।★
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संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥★
📯《अर्थ 》→ हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।★
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जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥★
📯《अर्थ 》→ हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझपर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।★
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जो सत बार पाठ कर कोई, छुटहि बँदि महा सुख होई॥38॥★
📯《अर्थ 》→ जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बन्धनों से छुट जायेगा और उसे परमानन्द मिलेगा।★
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जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥★
📯《अर्थ 》→ भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।★
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मँह डेरा॥40॥★
📯《अर्थ 》→ हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।इसलिए आप उसके हृदय मे निवास कीजिए।★
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥★
📯《अर्थ 》→ हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगलो के स्वरुप है। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय मे निवास कीजिए।★
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
🌹सीता राम दुत हनुमान जी को समर्पित🌹
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कृपया आगे भी औरौं को भेजें

स्वर्ग जाते समाये भीम द्वारा सरस्वती नदी पर बनाया हुआ पुल



Saraswati river flows down from an unknown spot, visible only in this natural window in Mana village beyond Badrinath (Uttarakhand INDIA). Over this water fall one can see a huge rock appears like a bridge which is believed to be placed by Bhima, hence 'Bhim pul' used by Pandavas during their ascent to Heaven (Swargarohini) after the great battle of Mahabharata. 
This strong but short-visible river meets river Alaknanda, just south of Mana village at a place called 'Keshav Prayag' seen from Badrinath-Mana highway.


Saturday 9 July 2016

क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा!



पढोगे तो रो पड़ोगे जिंदगी का सच .

जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।

फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल। 2- 3 वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र 25 हो गयी।

और फिर विवाह हो गया। जीवन की राम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक 2 साल नर्म, गुलाबी, रसीले, सपनीले गुजरे । हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना, रंग बिरंगे सपने। पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए।

और फिर बच्चे के आने ही आहट हुई। वर्ष भर में पालना झूलने लगा। अब सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया। उठना बैठना खाना पीना लाड दुलार ।

समय कैसे फटाफट निकल गया, पता ही नहीं चला।
 इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया, बाते करना घूमना फिरना कब बंद हो गया दोनों को पता ही न चला।

बच्चा बड़ा होता गया। वो बच्चे में व्यस्त हो गयी, मैं अपने काम में । घर और गाडी की क़िस्त, बच्चे की जिम्मेदारी, शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक में शुन्य बढाने की चिंता। उसने भी अपने आप काम में पूरी तरह झोंक दिया और मेने भी

इतने में मैं 35 का हो गया। घर, गाडी, बैंक में शुन्य, परिवार सब है फिर भी कुछ कमी है ? पर वो है क्या समझ नहीं आया। उसकी चिड चिड बढती गयी, मैं उदासीन होने लगा।

इस बीच दिन बीतते गए। समय गुजरता गया। बच्चा बड़ा होता गया। उसका खुद का संसार तैयार होता गया। कब 10वि आई और चली गयी पता ही नहीं चला। तब तक दोनों ही चालीस बयालीस के हो गए। बैंक में शुन्य बढ़ता ही गया।

एक नितांत एकांत क्षण में मुझे वो गुजरे दिन याद आये और मौका देख कर उस से कहा " अरे जरा यहाँ आओ, पास बैठो। चलो हाथ में हाथ डालकर कही घूम के आते हैं।"

उसने अजीब नजरो से मुझे देखा और कहा कि "तुम्हे कुछ भी सूझता है यहाँ ढेर सारा काम पड़ा है तुम्हे बातो की सूझ रही है ।"
कमर में पल्लू खोंस वो निकल गयी।

तो फिर आया पैंतालिसवा साल, आँखों पर चश्मा लग गया, बाल काला रंग छोड़ने लगे, दिमाग में कुछ उलझने शुरू हो गयी।

बेटा उधर कॉलेज में था, इधर बैंक में शुन्य बढ़ रहे थे। देखते ही देखते उसका कॉलेज ख़त्म। वह अपने पैरो पे खड़ा हो गया। उसके पंख फूटे और उड़ गया परदेश।

उसके बालो का काला रंग भी उड़ने लगा। कभी कभी दिमाग साथ छोड़ने लगा। उसे चश्मा भी लग गया। मैं खुद बुढा हो गया। वो भी उमरदराज लगने लगी।

दोनों पचपन से साठ की और बढ़ने लगे। बैंक के शून्यों की कोई खबर नहीं। बाहर आने जाने के कार्यक्रम बंद होने लगे।

अब तो गोली दवाइयों के दिन और समय निश्चित होने लगे। बच्चे बड़े होंगे तब हम साथ रहेंगे सोच कर लिया गया घर अब बोझ लगने लगा। बच्चे कब वापिस आयेंगे यही सोचते सोचते बाकी के दिन गुजरने लगे।

एक दिन यूँ ही सोफे पे बेठा ठंडी हवा का आनंद ले रहा था। वो दिया बाती कर रही थी। तभी फोन की घंटी बजी। लपक के फोन उठाया। दूसरी तरफ बेटा था। जिसने कहा कि उसने शादी कर ली और अब परदेश में ही रहेगा।

उसने ये भी कहा कि पिताजी आपके बैंक के शून्यों को किसी वृद्धाश्रम में दे देना। और आप भी वही रह लेना। कुछ और ओपचारिक बाते कह कर बेटे ने फोन रख दिया।

मैं पुन: सोफे पर आकर बेठ गया। उसकी भी दिया बाती ख़त्म होने को आई थी। मैंने उसे आवाज दी "चलो आज फिर हाथो में हाथ लेके बात करते हैं "
वो तुरंत बोली " अभी आई"।

मुझे विश्वास नहीं हुआ। चेहरा ख़ुशी से चमक उठा।आँखे भर आई। आँखों से आंसू गिरने लगे और गाल भीग गए । अचानक आँखों की चमक फीकी पड़ गयी और मैं निस्तेज हो गया। हमेशा के लिए !!

उसने शेष पूजा की और मेरे पास आके बैठ गयी "बोलो क्या बोल रहे थे?"

लेकिन मेने कुछ नहीं कहा। उसने मेरे शरीर को छू कर देखा। शरीर बिलकुल ठंडा पड गया था। मैं उसकी और एकटक देख रहा था।

क्षण भर को वो शून्य हो गयी।
" क्या करू ? "

उसे कुछ समझ में नहीं आया। लेकिन एक दो मिनट में ही वो चेतन्य हो गयी। धीरे से उठी पूजा घर में गयी। एक अगरबत्ती की। इश्वर को प्रणाम किया। और फिर से आके सोफे पे बैठ गयी।

मेरा ठंडा हाथ अपने हाथो में लिया और बोली
"चलो कहाँ घुमने चलना है तुम्हे ? क्या बातें करनी हैं तुम्हे ?" बोलो !!

ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर आई !!......
वो एकटक मुझे देखती रही। आँखों से अश्रु धारा बह निकली। मेरा सर उसके कंधो पर गिर गया। ठंडी हवा का झोंका अब भी चल रहा था।

क्या ये ही जिन्दगी है ? नहीं ??

सब अपना नसीब साथ लेके आते हैं इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो । जीवन अपना है तो जीने के तरीके भी अपने रखो। शुरुआत आज से करो। क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा!

भगवान् श्री कृष्ण जी के 51 नाम और उन के अर्थ


!! Hare Krishna !!

*भगवान् श्री कृष्ण जी के 51 नाम और उन के अर्थ:.....*
*1 कृष्ण* : सब को अपनी ओर आकर्षित करने वाला.।
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*2 गिरिधर*: गिरी: पर्वत ,धर: धारण करने वाला। अर्थात गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले।
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*3 मुरलीधर*: मुरली को धारण करने वाले।
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*4 पीताम्बर धारी*: पीत :पिला, अम्बर:वस्त्र। जिस ने पिले वस्त्रों को धारण किया हुआ है।
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*5 मधुसूदन:* मधु नामक दैत्य को मारने वाले।
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*6 यशोदा या देवकी नंदन*: यशोदा और देवकी को खुश करने वाला पुत्र।
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*7 गोपाल*: गौओं का या पृथ्वी का पालन करने वाला।
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*8 गोविन्द*: गौओं का रक्षक।
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*9 आनंद कंद:* आनंद की राशि देंने वाला।
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*10 कुञ्ज बिहारी*: कुंज नामक गली में विहार करने वाला।
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*11 चक्रधारी*: जिस ने सुदर्शन चक्र या ज्ञान चक्र या शक्ति चक्र को धारण किया हुआ है।
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*12 श्याम*: सांवले रंग वाला।
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*13 माधव:* माया के पति।
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*14 मुरारी:* मुर नामक दैत्य के शत्रु।
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*15 असुरारी*: असुरों के शत्रु।
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*16 बनवारी*: वनो में विहार करने वाले।
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*17 मुकुंद*: जिन के पास निधियाँ है।
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*18 योगीश्वर*: योगियों के ईश्वर या मालिक।
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*19 गोपेश* :गोपियों के मालिक।
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*20 हरि*: दुःखों का हरण करने वाले।
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*21 मदन:* सूंदर।
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*22 मनोहर:* मन का हरण करने वाले।
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*23 मोहन*: सम्मोहित करने वाले।
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*24 जगदीश*: जगत के मालिक।
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*25 पालनहार*: सब का पालन पोषण करने वाले।
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*26 कंसारी*: कंस के शत्रु।
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*27 रुख्मीनि वलभ*: रुक्मणी के पति ।
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*28 केशव*: केशी नाम दैत्य को मारने वाले. या पानी के उपर निवास करने वाले या जिन के बाल सुंदर है।
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*29 वासुदेव*:वसुदेव के पुत्र होने के कारन।
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*30 रणछोर*:युद्ध भूमि स भागने वाले।
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*31 गुड़ाकेश*: निद्रा को जितने वाले।
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*32 हृषिकेश*: इन्द्रियों को जितने वाले।
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*33 सारथी*: अर्जुन का रथ चलने के कारण।
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*35 पूर्ण परब्रह्म:* :देवताओ के भी मालिक।
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*36 देवेश*: देवों के भी ईश।
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*37 नाग नथिया*: कलियाँ नाग को मारने के कारण।
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*38 वृष्णिपति*: इस कुल में उतपन्न होने के कारण
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*39 यदुपति*:यादवों के मालिक।
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*40 यदुवंशी*: यदु वंश में अवतार धारण करने के कारण।
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*41 द्वारकाधीश*:द्वारका नगरी के मालिक।
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*42 नागर*:सुंदर।
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*43 छलिया*: छल करने वाले।
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*44 मथुरा गोकुल वासी*: इन स्थानों पर निवास करने के कारण।
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*45 रमण*: सदा अपने आनंद में लीन रहने वाले।
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*46 दामोदर*: पेट पर जिन के रस्सी बांध दी गयी थी।
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*47 अघहारी*: पापों का हरण करने वाले।
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*48 सखा*: अर्जुन और सुदामा के साथ मित्रता निभाने के कारण।
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*49 रास रचिया*: रास रचाने के कारण।
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*50 अच्युत*: जिस के धाम से कोई वापिस नही आता है।
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*51 नन्द लाला*: नन्द के पुत्र होने के कारण।

Friday 8 July 2016

जाने क्या है ओजोन परत ......Know what is ozone layer





The ozone layer or ozone shield is a region of Earth's stratosphere that absorbs most of the Sun's ultraviolet (UV) radiation. It contains high concentrations of ozone (O3) in relation to other parts of the atmosphere, although still small in relation to other gases in the stratosphere. The ozone layer contains less than 10 parts per million of ozone, while the average ozone concentration in Earth's atmosphere as a whole is about 0.3 parts per million. The ozone layer is mainly found in the lower portion of the stratosphere, from approximately 20 to 30 kilometres (12 to 19 mi) above Earth, although the thickness varies seasonally and geographically.[1]
The ozone layer was discovered in 1913 by the French physicists Charles Fabry and Henri Buisson. Measurements of the sun showed that the radiation sent out from its surface and reaching the ground on Earth is usually consistent with the spectrum of a black body with a temperature in the range of 5,500–6,000 K (Kelvin) (5,227 to 5,727°C), except that there was no radiation below a wavelength of about 310 nm at the ultraviolet end of the spectrum. It was deduced that the missing radiation was being absorbed by something in the atmosphere. Eventually the spectrum of the missing radiation was matched to only one known chemical, ozone.[2] Its properties were explored in detail by the British meteorologist G. M. B. Dobson, who developed a simple spectrophotometer (the Dobsonmeter) that could be used to measure stratospheric ozone from the ground. Between 1928 and 1958, Dobson established a worldwide network of ozone monitoring stations, which continue to operate to this day. The "Dobson unit", a convenient measure of the amount of ozone overhead, is named in his honor.
The ozone layer absorbs 97 to 99 percent of the Sun's medium-frequency ultraviolet light (from about 200 nm to 315 nm wavelength), which otherwise would potentially damage exposed life forms near the surface.