Thursday, 29 December 2016

ये हैं देश की पहली महिला कमांडो ट्रेनर


सीमा राव यूं तो पेशे से डॉक्टर हैं। एमबीए की डिग्री भी उनके पास है। पर, उनका शौक कुछ और ही था। उनके इसी शौक ने उन्हें आज इस मुकाम पर पहुंचा दिया है। अपनी इस राह में सीमा ने पारिवारिक और आर्थिक रूप से कई चुनौतियों का सामना किया, पर कभी भी उनके आगे हार नहीं मानी। सीमा मिलिट्री मार्शल आट्र्स में 7-डिग्री ब्लैक बेल्ट होल्डर हैं। ऐसा करने वाली वो भारत की एकमात्र महिला हैं। पिछले 20 सालों से वो अलग-अलग तरह की सेना की टुकड़ियों को आमने-सामने की लड़ाई में दुश्मनों को मात देने का गुर सिखा रही हैं और वह भी बिल्कुल मुफ्त में। इसके अलावा सीमा कॉम्बैट शूटिंग इंस्ट्रक्टर, फायरफाइटर, स्कूबा डाइवर और रॉक क्लाइम्बर भी हैं।
सीमा बताती हैं, ‘मैं बचपन से ही अपने पिता जैसा बनना चाहती थी। मेरे पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। मैं हमेशा से देश के लिए कुछ करना चाहती थी। फिर मेरी मुलाकात मेरे पति मेजर दीपक राव से हुई। एक व्यक्ति में मुझे मेरी पूरी दुनिया मिल गई। मात्र 18 साल की उम्र में हमें यह महसूस हो चुका था कि हम अपनी पूरी जिंदगी एक-दूसरे के साथ बिताना चाहते हैं।’
मेरे पति जानते थे कि मैं खुद को सशक्त करना चाहती थी और साथ ही देश के लिए भी कुछ करना चाहती हूं। मेरी इस चाहत की मजबूत नींव उन्होंने डाली मुझे मार्शल आट्र्स सिखाकर। सुबह से शाम तक हम लोग अपना रूटीन का काम करते और रात में घर लौटने के बाद मार्शल आट्र्स। मार्शल आट्र्स सीखने के बाद मैं दिन-ब-दिन ज्यादा शक्तिशाली महसूस करने लगी थी। एक बार पुणे में हमारी मुलाकात आर्मी के कुछ लोगों से हुई जो सुबह के वक्त ट्रेनिंग कर रहे थे। हमने उन्हें अपना परिचय दिया और उनसे पूछा कि क्या हम उन्हें अपनी ट्रेनिंग दिखा सकते हैं? उस एक हां के बाद से हमने आज तक पीछे मुड़कर नहीं देखा है। हमने आर्मी के सैनिकों को उसके बाद से ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी।’
अकसर लोग कहते हैं कि हमारा समाज पुरुष प्रधान है, पर मैंने कभी अपने महिला होने को अपने सपनों की राह में रोड़ा नहीं बनने दिया। हमारा रिश्ता बराबरी का है और तभी यह इतना मजबूत है। जिंदगी की हर राह पर हम दोनों ने एक जैसा योगदान दिया है। एक समाज आगे तभी बढ़ सकता है, जब पुरुष और महिला दोनों एक जैसे मजबूत हों और जहां दोनों को एक जैसा सम्मान मिले।’
Source - HT

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