गोरखपुर के जिला अस्पताल में स्वाइप मशीन लेकर रविवार को एक व्यक्ति पहुंचा। उन्होंने पेशेंट्स के अटेंडेंट्स से कहा कि जरूरतमंद लोगों को एटीएम जाने की जरूरत नहीं है। वे कैश देकर हेल्प कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल को सफलता दिलाना ही उनका मकसद है। यह सुनते ही उनके आसपास भीड़ लग गई। लोगों ने मशीन में एटीएम कार्ड और पिन डालकर उनसे रुपए लिया और शख्स को चलता-फिरता ATM बताया। .
- दूध के व्यापारी आलोक सिंह विशेन स्वाइप मशीन लेकर रविवार को गोरखपुर के जिला अस्पताल पहुंचे।
- इमरजेंसी में पेशेंट्स के अटेंडेंट्स से उन्होंने पूछा रुपए की जरूरत किसे है? साथ ही कहा कि जरूरतमंद लोग उनके पास मौजूद मशीन पर अपना एटीएम कार्ड स्वाइप कर दें। इसके बाद वे अपने पास मौजूद कैश उन्हें दे देंगे।
- यह सुनकर उनके आसपास पेशेंट्स के अटेंडेंट्स की भीड़ लग गई।
- इमरजेंसी में पेशेंट्स के अटेंडेंट्स से उन्होंने पूछा रुपए की जरूरत किसे है? साथ ही कहा कि जरूरतमंद लोग उनके पास मौजूद मशीन पर अपना एटीएम कार्ड स्वाइप कर दें। इसके बाद वे अपने पास मौजूद कैश उन्हें दे देंगे।
- यह सुनकर उनके आसपास पेशेंट्स के अटेंडेंट्स की भीड़ लग गई।
किनको मिली मदद
केस-1
-इमरजेंसी के अंदर आलोक सिंह विशेन के पास सबसे पहले गोरखपुर के रहने वाले सेना के जवान मुख्तार यादव पहुंचे।
-उन्होंने एटीएम कार्ड स्वाइप की और एक हजार रुपए कैश प्राप्त किए।
-उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी गैस से जल गई है और इमरजेंसी के बर्न वार्ड में भर्ती है।
-उन्हें जब पता चला तो वह छुट्टी लेकर यहां पर आए हैं। यहां आने के बाद उन्हें कैश की दिक्कत हो रही थी।
-अब आलोक सिंह से 1000 रुपए पाकर वह खुश हैं।
-उनका कहना है कि नोटबंदी से दिक्कत तो हो रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कदम सराहनीय है।
केस-1
-इमरजेंसी के अंदर आलोक सिंह विशेन के पास सबसे पहले गोरखपुर के रहने वाले सेना के जवान मुख्तार यादव पहुंचे।
-उन्होंने एटीएम कार्ड स्वाइप की और एक हजार रुपए कैश प्राप्त किए।
-उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी गैस से जल गई है और इमरजेंसी के बर्न वार्ड में भर्ती है।
-उन्हें जब पता चला तो वह छुट्टी लेकर यहां पर आए हैं। यहां आने के बाद उन्हें कैश की दिक्कत हो रही थी।
-अब आलोक सिंह से 1000 रुपए पाकर वह खुश हैं।
-उनका कहना है कि नोटबंदी से दिक्कत तो हो रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कदम सराहनीय है।
केस-2
-अपनी मां का इलाज कराने आए झंगहा के राकेश बताते हैं कि उनकी मां की तबियत अचानक खराब हो गई थी।
-वह उन्हें जिला अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती किए हैं।
-उन्होंने बताया कि हालांकि उनके पास एटीएम कार्ड नहीं था, लेकिन आलोक सिंह विशेन ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह एटीएम कार्ड ले आएं। इसके बाद कॉल करें, इसके 15 मिनट के भीतर वह उनके पास रुपए लेकर पहुंच जाएंगे।
-अपनी मां का इलाज कराने आए झंगहा के राकेश बताते हैं कि उनकी मां की तबियत अचानक खराब हो गई थी।
-वह उन्हें जिला अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती किए हैं।
-उन्होंने बताया कि हालांकि उनके पास एटीएम कार्ड नहीं था, लेकिन आलोक सिंह विशेन ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह एटीएम कार्ड ले आएं। इसके बाद कॉल करें, इसके 15 मिनट के भीतर वह उनके पास रुपए लेकर पहुंच जाएंगे।
केस-3
-देवरिया के रहने वाले एक पेशेंट के अटेंडेंट वासुकीनाथ तिवारी ने बताया कि उनके एक रिश्तेदार को उन्होंने अस्पताल में भर्ती किया है।
- रुपए खत्म होने पर वह एटीएम से निकालने जाने ही वाले थे। वे घबरा रहे थे कि रुपए मिलेंगे या नहीं।
- जब उन्हें आलोक सिंह के बारे में जानकारी मिली तो उनसे हेल्प ली। रुपए पाकर वे खुश हैं।
- उनका कहना है कि यह बहुत ही सराहनीय पहल है। अन्य लोगों को भी ऐसे में परेशान लोगों की हेल्प के लिए आगे आना चाहिए।
क्या कहते हैं आलोक सिंह
-देवरिया के रहने वाले एक पेशेंट के अटेंडेंट वासुकीनाथ तिवारी ने बताया कि उनके एक रिश्तेदार को उन्होंने अस्पताल में भर्ती किया है।
- रुपए खत्म होने पर वह एटीएम से निकालने जाने ही वाले थे। वे घबरा रहे थे कि रुपए मिलेंगे या नहीं।
- जब उन्हें आलोक सिंह के बारे में जानकारी मिली तो उनसे हेल्प ली। रुपए पाकर वे खुश हैं।
- उनका कहना है कि यह बहुत ही सराहनीय पहल है। अन्य लोगों को भी ऐसे में परेशान लोगों की हेल्प के लिए आगे आना चाहिए।
क्या कहते हैं आलोक सिंह
-जिला अस्पताल पहुंचे दूध व्यापारी आलोक सिंह विशेन ने बताया कि शनिवार को पहला दिन था। संडे को दूसरा दिन है। अब यह काम वे हर संडे को करेंगे।
-उन्होंने बताया कि स्वाइप मशीन से वह अपने खाते में संबंधित शख्स का रुपया ट्रांसफर करा लेते हैं। इसके बाद कैश के रूप में पेमेंट कर देते हैं।
-उन्होंने बताया कि वह शनिवार को 25 हजार रुपए और रविवार को 35 हजार रुपए लेकर निकले। जरूरत के हिसाब से लोगों को 500 और 1000 रुपए की हेल्प कर रहे हैं।
-उन्होंने कहा कि अन्य लोगों को भी इस तरह की पहल करनी चाहिए, जिससे नोटबंदी में लोगों की मदद हो सके। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल को सफलता मिल सके।
-उन्होंने बताया कि स्वाइप मशीन से वह अपने खाते में संबंधित शख्स का रुपया ट्रांसफर करा लेते हैं। इसके बाद कैश के रूप में पेमेंट कर देते हैं।
-उन्होंने बताया कि वह शनिवार को 25 हजार रुपए और रविवार को 35 हजार रुपए लेकर निकले। जरूरत के हिसाब से लोगों को 500 और 1000 रुपए की हेल्प कर रहे हैं।
-उन्होंने कहा कि अन्य लोगों को भी इस तरह की पहल करनी चाहिए, जिससे नोटबंदी में लोगों की मदद हो सके। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल को सफलता मिल सके।
Source- Dainik Bhaskar
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