हुकरप्पा ने साल 1983 में राजनीति में कदम रखा था और पहली बार में बीजेपी के टिकट पर कर्नाटक की सुल्लिया विधानसभा सीट से जीतकर विधायक बने थे. बाकिला को ईमानदारी के लिए जाना जाता है. 19 महीने तक विधायक के पद पर रहने वाले बाकिला ने कॉलेज, हाईस्कूल, हॉस्टल, पुल और तीन सड़कों का निर्माण करवाया. 19 महीने बाकिला ने अपने क्षेत्र के विकास में लगा दिए और कभी भी पैसे का लालच नहीं किया.
आज अपने परिवार का पेट पालने के लिए बाकिला मजदूरी कर रहे हैं. दिनभर की कड़ी मेहनत करके वो 40-50 रुपए कमा लेते हैं. बाकिला के पास अपना घर तक नहीं था वो 21 साल तक अपनी पत्नी के घर में रहे. हाल ही में उन्होंने ये छोटी सी झोपड़ी बनाई है अब यही उनका अपना आशियाना है.
स्कूल, पुल और विकास के काम किए, लोग याद करते हैं उनकी मेहनत के लिए. तीसरी बार कोशिश की, उनका ग़ॉडफादर नहीं था. वो रोजी रोटी के लिए मजदूरी करने लगे. महत्वपूर्ण है सत्ता का सुख लेने के बाद भी वो मजदूरी करते हैं शायद ही कोई ऐसा करता हो.
हालांकि पूर्व विधायक होने की वजह से बाकिला हुकरप्पा को 30 हजार रुपए महीने पेंशन मिलती है. लेकिन उनका परिवार इतना बड़ा है कि ये 30 हजार रुपए पूरे नहीं पड़ते और उन्हें अपने खेत के साथ-साथ दूसरी जगह भी मजदूरी करनी पड़ती है.
बड़ी बात ये है कि उन्हें मजदूरी करने में शर्म नहीं आती. वो मेहनत में यकीन करते हैं और राजनीति में ईमानदारी की मिसाल पेश कर रहे हैं.
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