Tuesday, 5 July 2016

सलाम है इन दोनों बहादुर बच्चों को

#उमर और #सालिम नाम के इन दो नन्हे नाविकों ने बहादुरी की बेहतरीन  मिशाल पेश की है. कोई इन मासूम चेहरों को देखकर विश्वास भी नहीं करेगा कि गंगा में डूबे आठ दोस्तों में से छह को जिन्दा निकाल लेने का चमत्कारिक काम इन दोनों ने ही किया होगा. लेकिन यह सच है कि अगर उमर और सालिम उस समय  गंगा  में अपनी नाव पर न होते तो छह युवकों को जीवित नहीं बचाया जा सकता. #उमर और #सालिम  की बहादुरी को बार- बार  सलाम !


आइये तफ्सील से जानते है कि उमर  और सालिम ने किस तरह से बहादुरी की गाथा लिखी है. फर्रुखाबाद कोतवाली क्षेत्र के अमेठी जदीद निवासी नेमकुमार(18) पुत्र ग्वाल सिंह , अनुज कुमार(18) पुत्र महेश चंद्र, सचिन(15) पुत्र चंद्रशेखर, अवीश(18) पुत्र सुरेश चंद्र, रोहित(17) पुत्र सर्वेश सिंह , आकाश(15), सूरज(17) पुत्रगण मोर सिंह  और भीम सिंह (20) पुत्र रामऔतार निवासी चांदपुर गंगा नहाने के लिए  पांचालघाट पर बंधे की तरफ गए थे। नहाते-नहाते अचानक नेमकुमार गहरे पानी में चला गया। नेमकुमार को डूबता देख भीम सिंह  ने उसे बचाने के लिए हाथ पकड़ लिया, लेकिन पानी की तेज धार में वह भी डूबने लगा। यह देखकर अन्य दोस्त आकाश, अनुज, सूरज, सचिन, अवीश और रोहित भी एक-एक कर बचाने की कोशिश में डूबने लगे। किसी तरह ऊपर उछले अवीश के चिल्लाने की आवाज सुनकर गंगा में ही नाव चला रहे उमर और सालिम ने उन्हें देख लिया और पास में नाव ले जाकर बचाने की कोशिश करने लगे।  उमर और सालिम ने अवीश को निकालकर नाव में कर लिया. उस समय गंगा में यह दोनों भाई अकेले ही थे. पर छह जानों को बचाने के लिए उन्होंने गजब की हिम्मत दिखाई. अवीश को निकालने के बाद दोनों ने  एक-एक कर अन्य पांच लोग भी निकाल लिए गए, लेकिन भीम सिंह  और नेमकुमार का पता नहीं चला। इसकी जानकारी घाट पर गोताखोरों को दी गई तो उन लोगों ने भी दोनों की तलाश की।
           सलाम है इन दोनों बहादुर बच्चों को......

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