Tuesday, 29 November 2016

नागपुर के श्रीकांत पहले ऑटो चलाते थे, अब प्लेन उड़ाते हैं


कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता…एक पत्थर तो तबीयत से उछालों यारों’ पुराने समय में कही गई यह पक्तियां एक बार फिर उस समय सच साबित हुईं जब एक दृढ़ निश्चय और अटूट विश्वास की बदौलत एक ऑटो ड्राइवर ने पायलट बनने के सपने को पूरा किया.
मुंबई में रहने वाले श्रीकांत पंतवाने के पास दृढ़ इच्छा शक्ति के सिवा और कुछ नहीं था. अपने दृढ़ निश्चय और थोड़े बहुत लक की बदौलत श्रीकांत ने वो मुकाम हासिल कर लिया जिसके लिए वह बचपन में सपने देखा करता था.
सिक्योरिटी गार्ड के बेटे पंतवाने अपने स्कूल के दिनों में डिलिवरी ब्वॉय का काम भी किया करते थे. जिसके बाद एक समय ऐसा भी आया जब आर्थिक तौर पर अपने परिवार की दयनीय स्थिति के चलते श्रीकांत को स्कूल और काम में से किसी एक को चुनना पड़ा.
उसके बाद श्रीकांत ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए इस आशा के साथ एक ऑटो खरीदा कि जल्द ही वह अच्छे पैसे कमा लेगा और उससे उसकी परेशानियां भी दूर हो जाएंगी और आखिरकार एक दिन उसके नसीब ने इस तरह से करवट बदली  कि उसकी जिंदगी ही पूरी तरह से चेंज हो गई.
आपको बता दें कि श्रीकांत की मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से हुई जो एयरपोर्ट पर काम करता था. वहां उसने सफेद कलर के ड्रेस में एक हैंडसम आदमी को देखा तो उसने अपने दोस्त से इसके बारे में जानकारी ली और तब श्रीकांत को पता चला कि कोई व्यक्ति एयर फोर्स में ना होकर भी पायलट बन सकता है.
आपको बता दें कि उसी दौरान बाहर एक चायवाले से बातचीत में श्रीकांत को पता चला कि डीजीसीए मे पायलट स्कॉलरशिप की एक योजना निकाली है और उसी समय श्रीकांत ने यह निश्चय किया कि वह एक कॉमर्शियल पायलट बनेगा.
मध्यप्रदेश में फ्लाइट स्कूल ज्वॉइन करने के बाद श्रीकांत के सामने सबसे बड़ा चैलेंज इंग्लिश लैंग्वेज था. उसने इस चैलेंज को एक्सेप्ट किया और अपने लैंग्वेज रुपी चुनौती का बखूबी सामना किया.
फ्लाइंग की परीक्षा को पास करने बाद अपने परिवार और खुद की मदद करने के लिए श्रीकांत ने एक कंपनी में एक्सिक्यूटिव की नौकरी की लेकिन उसने कभी भी अपनी उम्मीदें नहीं छोड़ी. आपको बता दें कि दो महीने पहले श्रीकांत को इंडिगो एयरलाइंस की तरफ से उनके पायलटों की सेना में फर्स्ट ऑफिसर के रुप में ज्वॉइन करने का कॉल आया.
ऑटो ड्राइवर की इन चीजों से एक बात स्पष्ट होती है कि अगर इंसान के अंदर किसी काम को करने का हौसला हो और भाग्य रुपी पंखों का उसे सहारा मिल जाए तो वह अपनी जिन्दगी में बड़े से बड़े मुकाम को भी हासिल कर सकता है.

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