Saturday, 8 October 2016

जयचंदों में नाम लिखायेगा
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सेना के पीओके में घुसने पर,
जिन- जिन के आँसू निकल रहे.
आस्तीन के अजगर हैं ये,
जो राष्ट्रवाद को निगल रहे.

संकट में शास्त्री के साथ खड़ा था,
इंदिरा को दुर्गा अवतार कहा.
आज कठिन बेला में उसने,
जयचंदों का वार सहा.

साथ खड़े हो, तो साथ रहो,
किन्तु परन्तु की मक्कारी क्या.
सरहद पार मरे आतंकी,
तुमको रोने की लाचारी क्या.

मोदी के खुंदक में क्यों,
भारत माँ को भुला दिया.
जिसकी गोद पले हो तुम,
उस माँ को भी रुला दिया.

हाफिज सईद क्यों चीख पड़ा,
दोनों नवाज के होश उड़े.
रोता है कोई भी क्या,
लात करारा बिना पड़े.

चीख- चीखकर जिस नवाज को,
उसकी संसद ने धो डाला.
कालर पकड़ पूँछ रहे हैं सब,
क्यों आतंकी नागों को पाला.

राहत देने को नवाज को,
तुमको मोदी पर वार किया.
भारत के गौरव पर चोट है ये,
जो मोदी पर वार किया.

अबतक जनमन का बंदरबाँट किया,
सत्ता का सुख पाने को.
सरकार देश व सेना एक रहे हैं,
अब आये इसे बँटाने को.

ऐ अंधों ! पी एम के मान में ही,
सेना का मान जुड़ा रहता है.
सागर की लहरों के गर्जन से कब,
सागर का गर्जन जुदा रहता है.

यह गंदा खेल तुम्हारा,
जयचंदों में नाम लिखायेगा.
साल हजारों से झेले हैं,
झाँसे में देश न आयेगा.

Source- Naveen purohit

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