15 सालों से ये बुजुर्ग दंपति आज भी जिंदादिली और बिना किसी फायदे-नुकसान के जरुरतमंदों को खाना खिला रहा है. ये उम्र के 82 साल पार कर चुके हैं. ऐसे में इनकी तबियत ठीक ना रहना लाजमी है. उम्र के इस पड़ाव और खराब सेहत के बावजूद ये आज भी रोज चंडीगढ़ पीजीआई के बाहर जरुरतमंदों को खुद खाना खिलाने के लिए आते हैं.
जगदीश लाल आहुजा को लोग बाबा जी और इनकी पत्नी को जय माता दी के नाम से जानते हैं. 82 साल का ये बुजुर्ग अपनी पत्नी के साथ मिलकर रोज एक हजार लोगों का पेट भरता है. 15 साल से ये शख्स पीजीआई के बाहर दाल, रोटी, चावल और हलवा बांट रहा है, वो भी बिना किसी छुट्टी के.
जगदीश लाल आहुजा को लोग बाबा जी और इनकी पत्नी को जय माता दी के नाम से जानते हैं. 82 साल का ये बुजुर्ग अपनी पत्नी के साथ मिलकर रोज एक हजार लोगों का पेट भरता है. 15 साल से ये शख्स पीजीआई के बाहर दाल, रोटी, चावल और हलवा बांट रहा है, वो भी बिना किसी छुट्टी के.
जगदीश लाल आहुजा भूखों का पेट भरने के लिए एक-एक कर अपनी करोड़ों की आधा दर्जन प्रॉपर्टी बेच चुके हैं. कई मुश्किलें आईं. लेकिन आहुजा के सेवा भाव में कमी नहीं आई.
आहुजा जी को जो कोई भी जानते हैं वह कहते हैं कि आहुजा जी ने एक से डेढ़ हजार लोगों को गोद ले रखा है. लंगर के लिए आज तक उन्होंने किसी से पैसे नहीं मांगे. कभी वे पीजीआई के अलावा 9 जगहों पर जरूरी सामान बांटते थे, लेकिन रुपयों की कमी के कारण उन जगहों पर जाना बंद हो गया.
आहुजा जी का एक बेटा है और वे उन्हें इस काम में पूरा सपोर्ट करता है. आहुजा जी का कहना है कि उनके बेटे ने उन्हें ये काम करने से कभी नहीं रोका. यहां तक की जब उन्होंने इस काम के लिए प्रॉपर्टी बेचने का फैसला किया तब भी उनके बेटे ने अपने पिता का साथ दिया. आहुजा जी का मानना है कि उनके बाद उनका बेटा इस नेक काम को आगे बढ़ाएगा.
तो इसे खत्म किया जा सकता है.
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