शख्स की नाम कैलाशगिरी ब्रह्मचारी है और यह मध्य प्रदेश के जबलपुर में हिनौता गांव का रहने वाला है। कैलाश तब 25 साल का था जब वह पहली बार अपनी मां को घर से लेकर निकला था। आज उसकी उम्र 45 साल हो चुकी है।
कैलाश ने पूर्व में एक समाचार पत्र को बताया था कि वह जब 14 साल के थे तब एक पेड़ से गिर गए थे। अगर मां ने ख्याल नहीं रखा होता तो व जिंदा न बचते। मां ने उनका ख्याल रखा और दिन-रात सलामती की दुआ की। मां ने तभी मन्नत मांगी थी कि वह चारों धाम के दर्शन करने जाएगी। मुझे लगा कि मां की मन्नत पूरी कराना मेरा कर्तव्य है।
पिछले 20 सालों में लगभग 40 हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं। उनकी यात्रा 1996 में गृहनगर जबलपुर से शुरू हुई थी। 20 साल, 3 महीने, 28 दिन से उसका ये सफर अनवरत जारी है। कैलाशगिरि ने वर्ष 1996 में एक कांवड़ बनाई थी और उसके एक हिस्से में मां को बिठा लिया जबकि दूसरे में खाने-पीने का सामान बर्तन रखकर चारधाम की यात्रा शुरू कर दी। कठोर संकल्प के साथ चारों धाम आठ ज्योतिर्लिंग के दर्शन कराने के बाद 2 फरवरी 2016 को वे मां को लेकर गांव पहुंचे तो मां ने कहा कि अभी वृंदावनधाम तो रह गया है। बस फिर क्या था उन्होंने बिना रुके उसी समय वृंदावनधाम की यात्रा शुरू कर दी।
वह सभी से माता-पिता की सेवा करने के लिए कहते हैं और ये संदेश देकर आगे बढ़ते रहते हैं।
News and Image source- IBN Khabar
कैलाश ने पूर्व में एक समाचार पत्र को बताया था कि वह जब 14 साल के थे तब एक पेड़ से गिर गए थे। अगर मां ने ख्याल नहीं रखा होता तो व जिंदा न बचते। मां ने उनका ख्याल रखा और दिन-रात सलामती की दुआ की। मां ने तभी मन्नत मांगी थी कि वह चारों धाम के दर्शन करने जाएगी। मुझे लगा कि मां की मन्नत पूरी कराना मेरा कर्तव्य है।
पिछले 20 सालों में लगभग 40 हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं। उनकी यात्रा 1996 में गृहनगर जबलपुर से शुरू हुई थी। 20 साल, 3 महीने, 28 दिन से उसका ये सफर अनवरत जारी है। कैलाशगिरि ने वर्ष 1996 में एक कांवड़ बनाई थी और उसके एक हिस्से में मां को बिठा लिया जबकि दूसरे में खाने-पीने का सामान बर्तन रखकर चारधाम की यात्रा शुरू कर दी। कठोर संकल्प के साथ चारों धाम आठ ज्योतिर्लिंग के दर्शन कराने के बाद 2 फरवरी 2016 को वे मां को लेकर गांव पहुंचे तो मां ने कहा कि अभी वृंदावनधाम तो रह गया है। बस फिर क्या था उन्होंने बिना रुके उसी समय वृंदावनधाम की यात्रा शुरू कर दी।
वह सभी से माता-पिता की सेवा करने के लिए कहते हैं और ये संदेश देकर आगे बढ़ते रहते हैं।
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