Thursday, 11 August 2016

मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया है

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक, 2016 पेश किया है, जिसका उद्देश्य कामकाजी महिलाओं के मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना है। इस संबंध में मेटरनिटी बैनिफेट एक्ट में संसोधन राज्यसभा में पास हो गया। संशोधन में महिलाओं के मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया है। यह प्रस्ताव जल्द ही कानून की शक्ल अख्तियार कर लेगा।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में संसद में मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक, 2016 पेश करके किये जाने वाले संशोधनों को पिछली तिथि से मंजूरी दे दी। मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 महिलाओं को उनके प्रसूति के समय रोजगार का संरक्षण करता है और वह उसे उसके बच्चे की देखभाल के लिए कार्य से अनुपस्थिति के लिए पूरे भुगतान का हकदार बनाता है।
यह 10 या इससे अधिक कर्मचारियों को काम पर रखने वाले सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होगा। इससे संगठित क्षेत्र में 18 लाख महिला कर्मचारी लाभान्‍वित होंगी। इन संशोधनों में दो जीवित बच्चों के लिए मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना और दो बच्चों से अधिक के लिए 12 सप्ताह, कमीशनिंग मां और गोद लेने वाली मां के लिए 12 सप्ताह का अवकाश और 50 से अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों के लिए क्रेच का अनिवार्य प्रावधान शामिल है।
नौकरी पेशा महिलाओं के लिए ये काफी बड़ा बदलाव होगा। खास बात ये है‌ कि ये प्रस्ताव पास होता है तो सरकारी के साथ साथ निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिला कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिल सकेगा।
इस संबंध में मीडिया को जानकारी देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बताया था कि सरकार और उनका मंत्रालय पिछले डेढ़ साल से इस प्रस्ताव के लिए प्रयास कर रहा था। काफी प्रयासों के बाद यह प्रस्ताव सदन के पटल तक पहुंचा। हालांकि इस प्रस्ताव को श्रम मंत्रालय की ओर से पेश किया गया। 
मेनका ने बताया कि सरकार यह मानती है कि नवजात बच्चे को जन्‍म के बाद कम से कम छह माह तक मां का दूध जरूर मिलना चाहिए। ऐसे में जो महिलाएं नौकरीपेशा हैं उनके लिए जरूरी है कि उन्हें पर्याप्त अवकाश दिया जाए। 

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