Monday, 28 August 2017

What is the most inhumane thing you've ever seen?

Read this and you will cry for sure...

It has to be the couple I saw while traveling through India.
They were looking tired, had torn clothes and were busy polishing the shoes of every customer who was shouting at them to get it done fast.
They were both in their seventies. But I could see that both of them looked odd, as if they didn't belong to the particular job. My train was late for another couple of hours and I had ample time to watch this couple work.
I only had 600 rupees left in my wallet. Something about them gave me the impression that they wouldn't accept money if I gave them freely. Afterall, they were working not begging. So, I went to the nearest Chaiwala (Tea seller) and asked him to give them both a cup of tea and breakfast.
He looked at me and said: “Sahib, Woh nahi lenge.” ( Sir, they won't accept.)
I told him to give them nonetheless and to tell them it was from a well-wisher.
The Chaiwala did as I said and after ten minutes, convinced them to have breakfast.
The Chaiwala told me that they have been working there for past six months. And then, with a slight pain in his eyes, said this:
“ They were daily wage workers and have five children who are happily married and are doing well. They worked hard to raise them and put them through school. But, despite all that, none of them want to look after them.”
“Woh beghar hain.” (They are homeless.)
I remember reading something similar in an article couple of years ago, the words still echo in my heart.
30 years we toiled, to ensure that our kids don't live in a shanty like we did. Turns out we failed; neither's house is big enough to have us.

What is the most heartbreaking thing your child has told you?

My husband died suddenly when my son was 5 years old. I sat him down the next day to explain to him that daddy had died. I had to do it in a calm, almost practical tone because I didn't want him to cry. I felt that he was too young for his heart to be broken that way. He took it all in calmly.
Then he said to me, “Mommy, I want a new heart, this one hurts.”
I learned that day how much physical effort it takes to stop oneself from crying.

What gives you goosebumps?


Many would have felt this, ask Indians It's true.
Jaya hey,jaya hey,jaya hey
Jaya...jaya…jaya…jaya…hey.
Whenever I stand in a crowd and sing this last line of Jana Gana Mana (Indian national anthem).
Every time… Every single time, I get goosebumps.


Monday, 27 February 2017

व्हाट्सएप अपना पुराना स्टेटस फीचर वापस ला सकता है. जहां पहले की तरह यूजर्स अपना टेक्स्ट स्टेटस रख सकते हैं.






गुरुवार को व्हाट्सएप ने अपनी 8वीं सालगिरह के मौके पर ‘स्टेटस’ फीचर जारी किया था. इस नए फीचर को लेकर कई यूजर्स शिकायतें कर रहे हैं. कुछ यूजर्स को व्हाट्सएप का ये इंस्टाग्राम ‘स्टोरी’ जैसा ‘स्टेटस’ फीचर नहीं भा रहा. इस बीच खबर है कि व्हाट्सएप अपना पुराना स्टेटस फीचर वापस ला सकता है. जहां पहले की तरह यूजर्स अपना टेक्स्ट स्टेटस रख सकते हैं. लेकिन इसे नए नाम के साथ रिलॉन्च किया जाएगा. खबरों की मानें तो इसे कंपनी Tagline नाम से वापस ला सकती है.
व्हाट्सएप को लेकर जानकारियां लीक करने वाले ट्विटर हैंडल WABetaInfo ने ये जानकारी शेयर की है.

Saturday, 11 February 2017

इन युवकों ने काट डाले मासूम कुत्ते के दोनों कान


सेल्फ़ी का क्रेज़ एक दिखावे की दुनिया में ले जाता है. लोग इसके लिए दीवाने हो चुके हैं. वे अपनी हर जानकारी को सेल्फ़ी की मदद से सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं. इतना ही नहीं, वे अपनी सेल्फ़ी को बेस्ट सेल्फ़ी बनाने की जुगत में रहते हैं. इस चक्कर में वे कई बार अपनी जान गंवा बैठते हैं, वहीं कुछ लोग किसी की जान ले लेते हैं. लोगों के ऊपर सेल्फ़ी का भूत सवार हो चुका है. इस चक्कर में वे अमानवीय हरक़त करते हैं. तुर्की के इस्पार्टा में कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है, जहां दो युवकों ने अपनी सेल्फ़ी को परफ़ेक्ट बनाने के लिए एक कुत्ते के दोनों कान काट दिए.
हैरानी वाली बात तो ये है कि सेल्फ़ी लेने के बाद युवकों ने फोटो को सोशल नेटवर्किंग साइट पर पोस्ट कर दिया. इस अमानवीयता के लिए तुर्की की पुलिस ने दोनों युवकों को गिरफ़्तार कर लिया है. तुर्की में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब जानवरों के साथ ऐसा बेरहम व्यवहार किया गया हो. इससे पहले भी जानवरों के साथ हिंसा के मामले में आपराधिक मामले दर्ज होते रहे हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की पुलिस ने इन युवकों पर लगभग 75 हज़ार का जुर्माना लगाया है. मगर जानवरों के लिए काम करने वाली तुर्की की एक संस्था ने इस सजा को नाकाफ़ी माना है.
संस्था के अनुसार, इन युवकों का अपराध बहुत ही जघन्य और अमानवीय है. इस अपराध के लिए इन युवकों को और भी सख्त़ सजा मिलनी चाहिए थी. इस फ़ोटो पर इस सामाजिक संस्थाओं ने आपत्ति दर्ज कराई है.

भारतीय मूल की शावना पंड्या जल्द भरेंगी अंतरिक्ष की उड़ान


आपको ये जानकर बहुत गर्व होगा कि अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद अब शावना पंड्या का नाम भारत की तरफ से आंतरिक्ष यात्री के तौर पर जुड़ने वाला है. आपको बता दें कि शावना भारतीय मूल की तीसरी महिला हैं, जो पेशे से एक न्यूरो सर्जन हैं, जो स्पेस की उड़ान भरने वाली हैं.
32 वर्षीय शावना का जन्म कनाडा में हुआ था. वो उन दो अंतरिक्ष यात्रियों में से हैं, जिनको सिटीज़न साइंस एस्ट्रोनॉट कार्यक्रम के अंतर्गत 3200 प्रतिभागियों में से चुना गया है. 


वो 2018 में अतंरिक्ष में जाने वाले मिशन का हिस्सा होंगी और इस मिशन के तहत कुल आठ लोग अतंरिक्ष में जाएंगे.
शावना की जड़ें मुंबई से जुड़ी हुई हैं. हाल ही में अपनी फैमिली से मिलने के लिए शावना मुंबई आईं थीं. उन्होंने बताया कि बचपन से ही वो एस्ट्रोनॉट बनने का सपना देखा करती थीं, लेकिन उन्हें डाक्टरी ज़्यादा पसंद थी. शावना के माता-पिता मुंबई में रहते हैं. वो फिलहाल कनाडा में रह रहीं है. शावना ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ अल्बर्टा से न्यूरोसाइंस में बीएससी की. इसके बाद उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस यूनिवर्सिटी से स्पेस साइंस में मास्टर्स किया और फिर मेडिसिन में एमडी किया. शवाना को अंग्रेजी के अलावा फ्रेंच और हिंदी भाषा भी काफी अच्छी तरह आती है.

भारत की ऐसी दुर्लभ तस्वीरें, जो आपको इतिहास में ले जाएंगी

आज हम आपको कुछ ऐसी तस्वीरों से रू-ब-रू करवाते हैं, जो आपने इससे पहले कभी नहीं देखी होंगी. तो चलिए आपको तस्वीरों के ज़रिए उस वक़्त में ले चलते हैं, जहां हर भारतीय की दिल बसता है.

160 साल पहले की ये तस्वीर महारानी लक्ष्मी बाई की है. इस तस्वीर को एक जर्मन फ़ोटोग्राफ़र ने क्लिक किया था.


ये सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर है. इस वक़्त उनकी उम्र 14 साल थी.


अंग्रेजों के ज़ुल्म की है ये तस्वीर.


ये तस्वीर आज़ादी की पहली सुबह की है.


आखिरी बार जब अंग्रेजो ने नेता जी को हिरासत में लिया था.


फ़ोर्ब्स मैगज़ीन की ‘30 Under 30’ लिस्ट में शामिल हुआ IIT-कानपुर के तीन पूर्व छात्रों का नाम

ख़बर ये है कि IIT- कानपुर के तीन पूर्व छात्रों को फ़ोर्ब्स मैगज़ीन की 2017 की टॉप 30 अंडर 30, सूची में जगह मिली है. इन तीनों छात्रों ने बड़ा कारनामा कर दिखाया है.
लखनऊ के रहने वाले फरीद अहसान (24), गोरखपुर के भानू प्रताप सिंह (25) और गाजियाबाद के अंकुश सचदेव (23) को सोशल नेटवर्किंग ऐप 'शेयरचैट' बनाने के लिए इस लिस्ट में शामिल किया गया है. आपको बता दें कि फ़ोर्ब्स मैगज़ीन के फरवरी एडिशन में इस लिस्ट को जारी किया गया है.
फरीद, भानू और अंकुश द्वारा 'शेयरचैट' ऐप को खासतौर पर उन लोगों के लिए बनाया गया है, जो हिन्दी बोलते, लिखते और पढ़ते हैं, या जो इंग्लिश समझ नहीं पाते हैं. यह ऐप उनके लिए अंग्रेजी को आसान बनाने का काम करेगा.
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, भानू ने बताया कि हमारा इंटरेस्ट हमेशा से तकनीक की तरफ ही था और इसी जुनून और ललक ने हमें इंटरनेट से जुड़े प्रोडक्ट्स बनाने के लिए प्रेरित किया. शुरुआत में हमको कई विफ़लताओं का सामना करना पड़ा और कई बार हमारे प्रोडक्ट्स को ठुकराया भी गया, लेकिन लगातार कोशिश करने के बाद अब जाकर 'शेयरचैट' के रूप में हमें सफ़लता हासिल हुई है. फिलहाल, 'शेयरचैट' यूजर्स की संख्या हर महीने लगभग 30 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है.

ग़रीब और ज़रुरतमंद लोगों की मदद करने के लिए हमारी टीम की ओर से इन सुपरस्टार्स को दिल से शुक्रिया

इंसान अपनी मेहनत से किसी भी मुकाम तक जा सकता है, मगर वो अपनी सफ़लता को कितने दिनों तक संजो सकता है, ये उस पर निर्भर करता है.
यूं तो बॉलीवुड में कई सुपरस्टार हैं, जो दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं. वे अपनी मेहनत से रोज़ सफ़लता के झंडे गाड़ रहे हैं. ये इसलिए हो पा रहा है, क्योंकि उनकी फ़िल्मों को जनता देखती है. वो जनता ही होती, जो एक आम इंसान को सुपरस्टार बना देती है. ख़ैर, कई स्टार्स को इस बात की जानकारी होती है, वहीं कुछ लोगों को इसका अहसास भी नहीं होता. आज हम उन स्टार्स के बारे में बात करेंगे, जो रील और रियल लाइफ़, दोनों में जनता के दिलों पर राज़ कर रहे हैं.
अमिताभ बच्चन ने ग़रीब किसानों की मदद पैसे देकर की. इतना ही नहीं, ये UNICEF की महत्वकांक्षी परियोजना Pulse Polio, भारत सरकार की कैंपेन 'Save Our Tigers' से भी जुड़े रहे.
सलमान अपना गैर-सरकारी संगठन Being Human चलाते हैं. इसकी मदद से वे उन कैदियों की मदद करते हैं, जो अपनी सज़ा पूरी कर चुके हैं, मगर आर्थिक तंगी के कारण जेल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. इसके अलावा सलमान ख़ान कई ज़रुरमंदों को पैसे डोनेट करते हैं.
प्रियंका चोपड़ा सामाजिक कार्य भी ख़ूब करती हैं. वे देश-भर के कई गांवों में इको-फ्रेंडली प्रोजेक्टस चलाती हैं. इतना ही नहीं, NDTV के ग्रीनीथन की वे ब्रांड एंबेसडर भी हैं.
ऐश्वर्या सोशल कामों से भी ख़ूब लगाव रखती हैं. उन्होंने अपनी आंखें Eye Bank Association of India को दान कर दिया है. इतना ही नहीं, वे ज़रुरतमंद लोगों के लिए ऐश्वर्या राय फाउंडेशन चलाती भी चलाती हैं.
बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रीति जिंटा महिला भ्रुण हत्या के ख़िलाफ़ हैं. वे इसके लिए काम भी करती हैं. इतना ही नहीं, विधवा महिलाओं और एड्स से ग्रसित व्यक्तियों की वो मदद करती हैं.
ग़रीब और ज़रुरतमंद लोगों की मदद करने के लिए हमारी टीम की ओर से इन सुपरस्टार्स को दिल से शुक्रिया

Saturday, 14 January 2017

ट्रेन


वो ट्रेन के रिजर्वेशन के डब्बे में बाथरूम के तरफ वाली एक्स्ट्रा सीट पर बैठी थी,……

उसके चेहरे से पता चल रहा था कि थोड़ी सी घबराहट है उसके दिल में कि कहीं टीसी ने आकर पकड़ लिया तो।
कुछ देर तक तो पीछे पलट-पलट कर टीसी के आने का इंतज़ार करती रही।

शायद सोच रही थी कि थोड़े बहुत पैसे देकर कुछ निपटारा कर लेगी। देखकर यही लग रहा था कि जनरल डब्बे में चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें
आकर बैठ गयी, शायद ज्यादा लम्बा सफ़र भी नहीं करना होगा।

सामान के नाम पर उसकी गोद में रखा एक छोटा सा बेग दिख रहा था। मैं बहुत देर तक कोशिश करता रहा पीछे से उसे देखने की कि शायद चेहरा
सही से दिख पाए लेकिन हर बार असफल ही रहा।

फिर थोड़ी देर बाद वो भी खिड़की पर हाथ टिकाकर सो गयी। और मैं भी वापस से अपनी किताब पढ़ने में लग गया।
लगभग 1 घंटे के बाद टीसी आया और उसे हिलाकर उठाया।
“कहाँ जाना है बेटा”

“अंकल अहमदनगर तक जाना है”
“टिकेट है ?”
“नहीं अंकल …. जनरल का है ….

लेकिन वहां चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें बैठ गयी”
“अच्छा 300 रुपये का पेनाल्टी बनेगा”

“ओह … अंकल मेरे पास तो लेकिन 100 रुपये ही हैं”
“ये तो गलत बात है बेटा …. पेनाल्टी तो भरनी पड़ेगी”

“सॉरी अंकल …. मैं अलगे स्टेशन पर जनरल में चली जाउंगी …. मेरे पास सच में पैसे नहीं हैं …. कुछ परेशानी आ गयी, इसलिए
जल्दबाजी में घर से निकल आई …

और ज्यदा पैसे रखना भूल गयी…. ” बोलते बोलते वो लड़की रोने लगी टीसी उसे माफ़ किया और 100 रुपये में उसे अहमदनगर तक उस डब्बे
में बैठने की परमिशन देदी।

टीसी के जाते ही उसने अपने आँसू पोंछे और इधर-उधर देखा कि कहीं कोई उसकी ओर देखकर हंस तो नहीं रहा था।

थोड़ी देर बाद उसने किसी को फ़ोन लगाया और कहा कि उसके पास बिलकुल भी पैसे नहीं बचे हैं … अहमदनगर स्टेशन पर कोई
जुगाड़ कराके उसके लिए पैसे भिजा दे, वरना वो समय पर गाँव नहीं पहुँच पायेगी।

मेरे मन में उथल-पुथल हो रही थी, न जाने क्यूँ उसकी मासूमियत देखकर उसकी तरफ खिंचाव सा महसूस कर रहा था,
दिल कर रहा था कि उसे पैसे देदूं और कहूँ कि तुम परेशान मत हो … और रो मत …. लेकिन एक अजनबी के लिए इस तरह की बात
सोचना थोडा अजीब था।

उसकी शक्ल से लग रहा था कि उसने कुछ खाया पिया नहीं है शायद सुबह से … और अब तो उसके पास पैसे भी नहीं थे।

बहुत देर तक उसे इस परेशानी में देखने के बाद मैं कुछ उपाय निकालने लगे जिससे मैं उसकी मदद कर सकूँ और फ़्लर्ट भी ना कहलाऊं। फिर
मैं एक पेपर पर नोट लिखा,

“बहुत देर से तुम्हें परेशान होते हुए देख रहा हूँ, जनता हूँ कि एक अजनबी हम उम्र लड़के का इस तरह तुम्हें नोट भेजना अजीब भी होगा और शायद तुम्हारी नज़र में गलत भी, लेकिन तुम्हे इस तरह परेशान देखकर मुझे बैचेनी हो रही है इसलिए यह 500 रुपये दे रहा हूँ , तुम्हे कोई अहसान न लगे इसलिए मेरा एड्रेस भी लिख रहा हूँ ….. जब तुम्हें सही लगे मेरे एड्रेस पर पैसे वापस भेज सकती हो ….वैसे मैं नहीं चाहूँगा कि तुम वापस करो ….. अजनबी हमसफ़र ”

एक चाय वाले के हाथों उसे वो नोट देने को कहा, और चाय वाले को मना किया कि उसे ना बताये कि वो नोट मैंने उसे भेजा है। नोट मिलते ही उसने दो-तीन बार पीछे पलटकर देखा कि कोई उसकी तरह देखता हुआ नज़र आये तो उसे पता लग जायेगा कि किसने भेजा। लेकिन मैं तो नोट भेजने के बाद ही मुँह पर चादर डालकर लेट गया था। थोड़ी देर बाद चादर का कोना हटाकर देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कराहट महसूस की। लगा जैसे कई सालों से इस एक मुस्कराहट का इंतज़ार था। उसकी आखों की चमक ने मेरा दिल उसके हाथों में जाकर थमा दिया …. फिर चादर का कोना हटा- हटा कर हर थोड़ी देर में उसे देखकर
जैसे सांस ले रहा था मैं। पता ही नहीं चला कब आँख लग गयी। जब आँख खुली तो वो वहां नहीं थी …

ट्रेन अहमदनगर स्टेशन पर ही रुकी थी। और उस सीट पर एक छोटा सा नोट रखा था ….. मैं झटपट मेरी सीट से उतरकर उसे उठा लिया .. और उस पर लिखा था…

Thank You मेरे अजनबी हमसफ़र ….

आपका ये अहसान मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूलूँगी …. मेरी माँ आज मुझे छोड़कर चली गयी हैं …. घर में मेरे अलावा और कोई नहीं है इसलिए
आनन – फानन में घर जा रही हूँ।

आज आपके इन पैसों से मैं अपनी माँ को शमशान जाने से पहले एक बार देख पाऊँगी ….

उनकी बीमारी की वजह से उनकी मौत के बाद उन्हें ज्यादा देर घर में नहीं रखा जा सकता। आजसे मैं आपकी कर्ज़दार हूँ …
जल्द ही आपके पैसे लौटा दूँगी। उस दिन से उसकी वो आँखें और वो मुस्कराहट जैसे मेरे जीने की वजह थे …. हर रोज़ पोस्टमैन से पूछता था शायद किसी दिन उसका कोई ख़त आ जाये …. आज 1 साल बाद एक ख़त मिला … आपका क़र्ज़ अदा करना चाहती हूँ …. लेकिन ख़त के ज़रिये नहीं आपसे मिलकर … नीचे मिलने की जगह का पता लिखा था …. और आखिर में लिखा था .. अजनबी हमसफ़र ……

Thursday, 5 January 2017

डाकघरों को मिला बैंक का दर्जा, नया नाम होगा इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक


भारतीय डाक को एक बैंक में तब्दील करने की सरकार की मंशा अब पूरी हो गई है। आरबीआइ ने भारतीय डाक को पेमेंट बैंक के तौर पर काम करने के प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे दी थी और अब केंद्र सरकार ने भी इसे हरी झंडी दिखा दी है।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश भर के डाकघरों को बैंक का दर्जा दिया गया है और ये बहुत जल्द ही ‘इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक’ के नाम से जाना जाएगा।

जल्द ही देश भर भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक (आइपीपीबी) के नाम से यह काम शुरु कर देगा। कैबिनेट ने फिलहाल पोस्ट बैंक को देश भर में 650 ब्रांच खोलने की इजाजत दी है लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है। बैंक पूरी तरह से प्रोफेशनल तरीके से चलाया जाएगा। संचार मंत्रालय इसके लिए एक सीइओ व अन्य प्रोफेशनल कर्मचारियों की नियुक्ति करेगा।
पेमेंट बैंक सितंबर 2017 से काम करना शुरू कर देगा। पोस्ट बैंक का पूंजी आधार 800 करोड़ रुपये होगा जिसमें 400 करोड़ रुपये इक्विटी के तौर पर और शेष 400 करोड़ रुपये की राशि बतौर ग्रांट उपलब्ध कराई जाएगी। यह पूरी तरह से सरकार की सौ फीसद हिस्सेदारी वाला उपक्रम होगा। प्रसाद ने बताया कि पहले उनके मंत्रालय ने तीन वर्षो में पोस्ट बैंक का पूरा विस्तार करने की योजना बनाई थी लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने इस काम को एक वर्ष के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है। संचार मंत्रालय ने इस चुनौती को स्वीकार किया है।
650 शाखाएं अौर 5000 नए एटीएम लगेंगे
वैसे तो इसके अभी सिर्फ 650 शाखाएं होंगी लेकिन भारतीय डाक के तकरीबन डेढ़ लाख डाक घर और इसमें कार्यरत 1.7 लाख डाकिये भी इसकी सेवाओं के प्रसार में अहम भूमिका निभाएंगे। वैसे 650 शाखाओं के लिए 3500 नए कर्मचारियों की भर्ती भी होगी। साथ ही 5000 नए एटीएम भी खोले जाएंगे। मौजूदा डाक घरों को बैंकिंग सोल्यूशंस से जुड़े तकनीकी से पोस्ट बैंक से जोड़ दिया जाएगा। जिससे दूर दराज के गांव के लोगों को भी हर तरह की बैंकिंग सेवा मिलेगी।
प्रसाद ने बताया कि डाकिये को पोस्ट बैंक के मुताबिक बनाने का काम भी शुरु हो रहा है। हर डाकिये को आइ-पैड और बेहतर स्मार्ट फोन देने के सुझाव पर विचार हो रहा है। वैसे हर डाकिये को एक छोटा सा हैंड हेल्ड मशीन भी दी जाएगी जिससे वे ग्राहकों को घर पर ही हर तरह की बैंकिंग सेवा दे सकेंगे। पोस्ट बैंक कई तरह की सेवाएं देगा मसलन दूसरे बैंकों के लिए मासिक किस्त वसूलना, साधारण व जीवन बीमा देना, पेंशन, म्यूचुअल फंड्स आदि में निवेश की सुविधा उपलब्ध कराने का काम भी यह करेगा।
क्या क्या करेगा पोस्ट बैंक
1. एक लाख रुपये तक का भुगतान व जमा
2. दूसरे बैंकों के लिए मासिक किस्त वगैरह वसूलना
3. बीमा, पेंशन व म्यूचुअल फंड की बिक्री
4. सरकार की स्कीमों को ग्रामीण इलाकों में पहुंचाना

IIT बॉम्बे के छात्रों द्वारा बनाया गया सैटेलाइट ‘प्रथम’ लॉन्च


गौरतलब है कि ‘प्रथम’ या ‘SCATSAT-1 ’पहला सैटेलाइट कार्यक्रम है, जिसे देश में स्टूडेंट्स के द्वारा शुरू किया गया. इसे पांच साल के सागर और मौसम का अध्ययन करने के लिए भेजा जाएगा. इसके अलावा प्रथम के साथ अल्‍जीरिया, कनाडा और अमेरिका के साथ बंगलूरु के बनाए गए सैटेलाइट शामिल होंगे.
दरअसल, मुख्य सैटेलाइट 720 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूर्य-स्थैतिक कक्षा में रहेगा. इन सैटेलाइट से होने वाले वैज्ञानिक अध्ययन से संचार त्रुटियों को ठीक करने में मदद मिलेगी और सुनामी की चेतावनी में भी मदद मिलेगी. इसके सफल प्रक्षेपण से मौसम का सटीक अंदाज़ा लगाने में काफ़ी सहायता मिलेगी

इस तरह तकनीक के क्षेत्र में भारतीय छात्रों ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया आयाम हासिल करने की ओर अपना कदम बढ़ा दिया है.
IIT बॉम्बे के छात्रों द्वारा बनाया गया सैटेलाइट ‘प्रथम’ लॉन्च होगा, फिर भारत का डंका बजेगा