Friday, 27 May 2016

#Kanyadaan

कन्यादान हुआ जब पूरा,आया समय विदाई का ।।
हँसी ख़ुशी सब काम हुआ था,सारी रस्म अदाई का ।

बेटी के उस कातर स्वर ने,बाबुल को झकझोर दिया ।।
पूछ रही थी पापा तुमने,क्या सचमुच में छोड़ दिया ।।
अपने आँगन की फुलवारी,मुझको सदा कहा तुमने ।।
मेरे रोने को पल भर भी ,बिल्कुल नहीं सहा तुमने ।।
क्या इस आँगन के कोने में, मेरा कुछ स्थान नहीं ।।
अब मेरे रोने का पापा,तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं ।।
देखो अन्तिम बार देहरी,लोग मुझे पुजवाते हैं ।।
आकर के पापा क्यों इनको,आप नहीं धमकाते हैं।।
नहीं रोकते चाचा ताऊ,भैया से भी आस नहीं।।
ऐसी भी क्या निष्ठुरता है,कोई आता पास नहीं।।
बेटी की बातों को सुन के ,पिता नहीं रह सका खड़ा।।
उमड़ पड़े आँखों से आँसू,बदहवास सा दौड़ पड़ा ।।
कातर बछिया सी वह बेटी,लिपट पिता से रोती थी ।।
जैसे यादों के अक्षर वह,अश्रु बिंदु से धोती थी ।।
माँ को लगा गोद से कोई,मानो सब कुछ छीन चला।।
फूल सभी घर की फुलवारी से कोई ज्यों बीन चला।।
छोटा भाई भी कोने में,बैठा बैठा सुबक रहा ।।
उसको कौन करेगा चुप अब,वह कोने में दुबक रहा।।
बेटी के जाने पर घर ने,जाने क्या क्या खोया है।।
कभी न रोने वाला बापू,फूट फूट कर रोया है ।

Thursday, 26 May 2016

#बिटिया



" पापा मुझे मेंहदी लगवानी है "
"पंद्रह साल की चुटकी बाज़ार में
बैठी मेंहदी वाली को देखते ही
मचल गयी...
"कैसे लगाती हो मेंहदी "
विनय नें सवाल किया...
"एक हाथ के पचास दो के सौ ...?
मेंहदी वाली ने जवाब दिया.
विनय को मालूम नहीं था मेंहदी
लगवाना इतना मँहगा हो गया है.
"नहीं भई एक हाथ के बीस लो
वरना हमें नहीं लगवानी."
यह सुनकर चुटकी नें मुँह फुला लिया.
"अरे अब चलो भी ,
नहीं लगवानी इतनी मँहगी मेंहदी"
विनय के माथे पर लकीरें उभर आयीं .
"अरे लगवाने दो ना साहब..
अभी आपके घर में है तो
आपसे लाड़ भी कर सकती है...
कल को पराये घर चली गयी तो
पता नहीं ऐसे मचल पायेगी या नहीं.
तब आप भी तरसोगे बिटिया की
फरमाइश पूरी करनेको...
मेंहदी वाली के शब्द थे तो चुभने
वाले पर उन्हें सुनकर विनय को
अपनी बड़ी बेटी की याद आ गयी..?
जिसकी शादी उसने तीन साल पहले
एक खाते -पीते पढ़े लिखे परिवार में की थी.
उन्होंने पहले साल से ही उसे छोटी
छोटी बातों पर सताना शुरू कर दिया था.
दो साल तक वह मुट्ठी भरभर के
रुपये उनके मुँह में ठूँसता रहा पर
उनका पेट बढ़ता ही चला गया
और अंत में एक दिन सीढियों से
गिर कर बेटी की मौत की खबर
ही मायके पहुँची.
आज वह छटपटाता है
कि उसकी वह बेटी फिर से
उसके पास लौट आये..?
और वह चुन चुन कर उसकी
सारी अधूरी इच्छाएँ पूरी कर दे...
पर वह अच्छी तरह जानता है
कि अब यह असंभव है.
"लगा दूँ बाबूजी...?,
एक हाथ में ही सही "
मेंहदी वाली की आवाज से
विनय की तंद्रा टूटी...
"हाँ हाँ लगा दो.
एक हाथ में नहीं दोनों हाथों में.
और हाँ, इससे भी अच्छी वाली हो
तो वो लगाना."
विनय ने डबडबायी आँखें
पोंछते हुए कहा
और बिटिया को आगे कर दिया.
जब तक बेटी हमारे घर है
उनकी हर इच्छा जरूर पूरी करे,
क्या पता आगे कोई इच्छा
पूरी हो पाये या ना हो पाये ।
ये बेटियां भी कितनी अजीब होती हैं
जब ससुराल में होती हैं
तब माइके जाने को तरसती हैं।
सोचती हैं
कि घर जाकर माँ को ये बताऊँगी
पापा से ये मांगूंगी बहिन से ये कहूँगी
भाई को सबक सिखाऊंगी
और मौज मस्ती करुँगी।
लेकिन
जब सच में मयके जाती हैं तो
एकदम शांत हो जाती है
किसीसे कुछ भी नहीं बोलती
बस माँ बाप भाई बहन से गले मिलती है।
बहुत बहुत खुश होती है।
भूल जाती है
कुछ पल के लिए पति ससुराल।
क्योंकि
एक अनोखा प्यार होता है मायके में
एक अजीब कशिश होती है मायके में।
ससुराल में कितना भी प्यार मिले
माँ बाप की एक मुस्कान को
तरसती है ये बेटियां।
ससुराल में कितना भी रोएँ
पर मायके में एक भी आंसूं नहीं
बहाती ये बेटियां
क्योंकि
बेटियों का सिर्फ एक ही आंसू माँ
बाप भाई बहन को हिला देता है
रुला देता है।
कितनी अजीब है ये बेटियां
कितनी नटखट है ये बेटियां
खुदा की अनमोल देंन हैं
ये बेटियां हो सके तो
बेटियों को बहुत प्यार दें
उन्हें कभी भी न रुलाये
क्योंकि ये अनमोल बेटी दो
परिवार जोड़ती है
दो रिश्तों को साथ लाती है।
अपने प्यार और मुस्कान से।
हम चाहते हैं कि
सभी बेटियां खुश रहें
हमेशा भले ही हो वो
मायके में या ससुराल में।